छऊ loknarty Kis state ka hai plz give me my question answered.
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छाउ एक आदिवासी नृत्य है जो बंगाल, ओड़ीसा एवम झारखंड मे प्रचलित है। इसके तीन प्रकार है- सेरैकेल्लै छाउ, मयूरभंज छाउ और पुरुलिया छाउ।
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hello dear
namestey
बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल का आदिवासी छाऊ नृत्य इन दिनों 32वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में दर्शकों के लिए मुख्य आकर्षण बना हुआ है। झारखंड के लोककलाकार चौपाल पर मशहूर छाऊ नृत्य माध्यम आदिवासी संस्कृति से रूबरू कराने में सफल हुए हैं। रांची से आई लोककलाकारों की टोली पौराणिक कथाओं को छाऊ नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत करती है।
लोककलाकार श्रीधर बताते हैं कि आदिवासी क्षेत्रों में छाऊ नृत्य प्रमुख है। यह नृत्य सभी उत्सवों पर किया जाता है। चैत्र माह में मनाए जाने वाले उत्सव पर इस नृत्य की अधिक धूम रहती है। इसका लोकसंगीत भी खास है। इसमें शहनाई, कई प्रकार के ढोल, धुम्सा और खर्का की धुन का खास महत्व है। आदिवासी क्षेत्रों में मुख्यत: चैत्र में मां काली की पूजा होती है। माता द्वारा राक्षसों का सर्वनाश करने की नृत्य नाटिकाएं और रामायण व महाभारत की कुछ घटनाओं का भी चित्रण इस नृत्य के माध्यम से किया जाता है। छाऊ नृत्य मुख्यत: मुंडा, माहातो, कलिंदी, पत्तानिक, समल, दरोगा, मोहंती, भोल, अचर्या, कर, दुबे व साहू संप्रदाय में लोकप्रिय है। छाउ नृत्य मे एक विशेष प्रकार के मुखौटे का उपयोग किया जाता है। श्रीधर बताते हैं कि झारखंड की सांस्कृतिक विरासत को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाया जा रहा है। पौराणिक असुर और संथाल, बंजारा, बिहोर, चेरो, गोंड, खोंड, लोहरा, माई पहरिया, मुंडा, ओरांव आदि आदिवासी संप्रदाय प्रमुख हैं। इनके बीच इकहरिया, डोमकच, झूमर, फगुआ, झीका, फिलसंझा, धुरिया आदि लोकगीतों का चलन है।
hope it will help u if u like my ans. plzzzz mark me as brainileast
thnx dear
agar aapko mera uttar aacha laga ho toh kripaya mughae brainileast mark krde
dhanyabad
namestey
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लोककलाकार श्रीधर बताते हैं कि आदिवासी क्षेत्रों में छाऊ नृत्य प्रमुख है। यह नृत्य सभी उत्सवों पर किया जाता है। चैत्र माह में मनाए जाने वाले उत्सव पर इस नृत्य की अधिक धूम रहती है। इसका लोकसंगीत भी खास है। इसमें शहनाई, कई प्रकार के ढोल, धुम्सा और खर्का की धुन का खास महत्व है। आदिवासी क्षेत्रों में मुख्यत: चैत्र में मां काली की पूजा होती है। माता द्वारा राक्षसों का सर्वनाश करने की नृत्य नाटिकाएं और रामायण व महाभारत की कुछ घटनाओं का भी चित्रण इस नृत्य के माध्यम से किया जाता है। छाऊ नृत्य मुख्यत: मुंडा, माहातो, कलिंदी, पत्तानिक, समल, दरोगा, मोहंती, भोल, अचर्या, कर, दुबे व साहू संप्रदाय में लोकप्रिय है। छाउ नृत्य मे एक विशेष प्रकार के मुखौटे का उपयोग किया जाता है। श्रीधर बताते हैं कि झारखंड की सांस्कृतिक विरासत को पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाया जा रहा है। पौराणिक असुर और संथाल, बंजारा, बिहोर, चेरो, गोंड, खोंड, लोहरा, माई पहरिया, मुंडा, ओरांव आदि आदिवासी संप्रदाय प्रमुख हैं। इनके बीच इकहरिया, डोमकच, झूमर, फगुआ, झीका, फिलसंझा, धुरिया आदि लोकगीतों का चलन है।
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dhanyabad
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