Chini ka dana jale me ghul jane par dikhai nhi deti hai kis kis paricha doaara yah bataya ja sakta hai ki chini ka anu jal me hi hai kho nahi gaya
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KYUNKI JAL KE ANU KE BICH MEIN JAGAH HOTI HAI AUR CHINI USI MEIN AT JATA HAI
चीनी (शर्करा) कार्बनिक यौगिकों का एक वर्ग 'कार्बोहाइड्रेट' है। कार्बोहाइड्रेटों के एक समूह के यौगिकों को शर्करा कहते हैं। कुछ शर्कराएँ प्रकृति में पाई जाती हैं और कुछ संश्लेषण से प्रयोगशालाओं में तैयार हुई हैं। शर्कराएँ उदासीन यौगिक हैं। पानी में जल्द घुल जातीं, एलकोहल में कठिनता से घुलतीं और ईथर में बिल्कुल घुलती नहीं हैं। गरम करने से ये भूरी होकर झुलस जाती हैं। जलने पर विशेष प्रकार की गंध देती हैं, जिसे 'जली शर्करा की गंध' कहते हैं। शर्कराएँ प्रकाशसक्रिय होती हैं। प्रत्येक शर्करा का अपना विशिष्ट घूर्णन होता है।
कुछ शर्कराएँ फेलिंग विलयन का अवकरण करतीं, कुछ फेनिल हाइड्रेजिन से अविलेय मणिभीय ओसोज़ीन बनती और कुछ किण्वन क्रिया देती हैं जिनसे शर्कराओं को पहचानने में सहायता मिलती है।
वैज्ञानिकों ने शर्कराओं को तीन वर्गो में विभक्त किया है। एक वर्ग की शर्कराओं को 'मोनो-सैकराइड', दूसरे वर्ग की शर्कराओं को 'डाइ-सैक्राइड' और तीसरे वर्ग की शर्कराओं को 'ट्राइ-सैकराइड' कहते हैं। इनमें 'डाइ-सैकराइड' अधिक महतव के हैं। प्रथम वर्ग की शर्कराओं में द्राक्षशर्करा (glucose) और फलशर्करा (fructose), दूसरे वर्ग की शर्कराओं में ईक्षुशर्करा (चीनी; sucrose), दुग्धशर्करा (lactose) और माल्ट शर्करा हैं। तीसरे वर्ग की शर्कराओं में स्टार्च और सैलूलोज हैं। (देखें कार्बोहाइड्रेट)