Chumbakiy aaghurn pr 3+
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please ask properly bro
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Good morning
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◦•●◉✿प्रस्तावना : यहाँ हम इन दोनों के बारे में विस्तार से अध्ययन करने जा रहे है की ये दोनों क्या होते है साथ ही इनके लिए सूत्र की स्थापना भी करेंगे।
चुम्बकीय द्विध्रुव (Magnetic dipole ) : हमने विद्युत क्षेत्र का अध्ययन करते समय पढ़ा था की विद्युत द्विध्रुव को किसी विधुत क्षेत्र में रखने पर विधुत द्विध्रुव पर एक बलयुग्म कार्य करता है।
ठीक इसी प्रकार “जब किसी वस्तु को चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाए और इस वस्तु पर बल युग्म कार्य करे तो यह वस्तु चुंबकीय द्विध्रुव कहलाती है। ”
जब दण्ड चुम्बक , धारावाही कुण्डली अथवा धारावाही परिनालिका को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाए तो इन पर एक बलयुग्म कार्य करता है अतः ये सब चुम्बकीय द्विध्रुव के उदाहरण है।
जब किसी बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में दंड चुम्बक को रखा जाता है तो इस दंड चुंबक पर एक बल युग्म कार्य करता है जिसके कारण यह चुम्बक अपनी माध्य स्थिति से विचलित होकर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में हो जाती है , जिससे यह सिद्ध होता है की दण्ड चुम्बक भी चुम्बकीय द्विध्रुव का उदाहरण है।
चुंबकीय द्विध्रुव आघूर्ण (magnetic dipole moment)
चुम्बक की ध्रुव प्रबलता तथा उसी चुंबक की प्रभावी लम्बाई के गुणनफल को चुंबक का चुम्बकीय आघूर्ण कहते है।
माना किसी चुम्बक के ध्रुव की प्रबलता m है तथा प्रभावी लम्बाई 2L है तो परिभाषा से चुम्बकीय आघूर्ण (M)
M = m x 2L
हम यह भी पढ़ चुके है की एक धारावाही कुण्डली भी द्विध्रुव का उदाहरण है इसके लिए चुम्बकीय द्विध्रुव का मान निम्न प्रकार ज्ञात करते है।
माना एक A क्षेत्रफल धारावाही कुंडली है जिसमे N फेरे लिपटे हुए है तथा I धारा प्रवाहित हो रही है और B तथा इसकी दिशा में θ कोण बन रहा है तो बल आघूर्ण (T)
T = NIABsinθ✿◉●•◦