cindrella story full in hindi
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एला की खुशियाँ ज़्यादा दिन टिक नहीं पायीं। एक दिन जब उसके पिता अपने काम से किसी दूसरे शहर गए, तो फिर कभी वापस नहीं आये। एला पर तो मानो मुश्किलों का पहाड़ टूट गया हो। पिता का साया सर से उठते ही उसकी माँ और बहने उसके घर की मालकिन हो गई और एला के साथ नौकरों जैसा बर्ताव करने लगीं। उन्होंने घर के सारे नौकरों को निकाल दिया और अब एला ही घर का सारा काम करती। उसकी बहनो ने तो उसका कमरा भी उससे छीन लिया और उसे एक कोठरी में रहने के लिए छोड़ दिया। एला अपनी बहनों के पुराने कपड़े और जूते पहनती। सारा दिन उनके काम करती। कभी कभी तो एला इतनी थक जाती कि अंगीठी के पास ही सो जाती। अकसर एला जब सुबह उठती तो अंगीठी की राख (सिंडर) उस पर पड़ी होती। उसकी बहने उसे सिंडर-एला कह के चिढ़ाती और इस तरह उसका नाम एला सेसिंडरेला हो गया।
एक दिन राज्य में ऐलान हुआ कि महल में एक बहुत बड़ा आयोजन है और राज्य की सभी लड़कियों की बुलाया गया है ताकि राजकुमार अपनी पसंद की लड़की से शादी कर सके। राज्य की सारी लड़कियां बहुत खुश और उत्साहित थीं। सिंड्रेला और उसकी बहने भी अपनी किस्मत आज़माने को बेचैन थी। लेकिन फिर सिंड्रेला की ये खुशी उसकी सौतेली माँ को रास नहीं आई और उसने सिंड्रेला को महल में जाने से मना कर दिया। बेचारी सिंड्रेला दुखी मन से फिर अपने काम में लग गयी और सोचती रही, कि इस वक़्त उसकी बहने क्या कर रही होंगी और राजकुमार देखने में कैसा होगा।
Cinderella and Angle ( सिंडरेला और जादूगरनी)
सिंड्रेला जब इन खयालो में खोई हुई थी, तभी वहां एक जादूगरनी आई। उसने सिंड्रेला को दुखी देखा तो उसकी मदद करनी चाही। सिंड्रेला ने सारी बात जादूगरनी को बताई। जादूगरनी ने सिंड्रेला से कहा, “ओह! प्यारी सिंड्रेला, मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ। ” यह कह कर जादूगरनी ने अपनी छड़ी घुमाई और वहाँ पड़े एक बड़े से कद्दू को एक बग्घी मे बदल दिया। वहीं चार चूहे उछल कूद मचा रहे थे, जादूगरनी की नज़र उनपर पड़ी तो उसने चूहों को घोड़ा बना दिया। अब जरूरत थी एक कोचवान की। जादूगरनी ने चारों तरफ नज़र घुमाई तो उसे एक मेंढक दिखा और उसे कोचवान में बदल दिया। सिंड्रेला यह सब देख हैरान हो रही थी कि तभी जादूगरनी उसकी तरफ मुड़ी और अपनी जादू की छड़ी घुमा दी, और पलक झपकते ही सिंड्रेला के मटमैले और फ़टे हुए कपड़े साफ और सुंदर हो गए। उसके पैरों में टूटी हुई चप्पल की जगह सुंदर कांच की जूती आ गई। अब सिंड्रेला महल मे जाने के लिए तैयार थी। जादूगरनी ने सिंड्रेला को विदा करते हुए कहा, “बेटी, तू अपनी इच्छा पूरी कर ले, लेकिन याद रखना रात १२ बजते ही यह सारा जादू खत्म हो जाएगा।
Cinderella and his prince charm (सिंड्रेला और राजकुमार)
सिंड्रेला जब महल पहुंची तो सबकी नज़रे उसी को देखने लगी। वह बहुत ही सुंदर लग रही थी। राजकुमार ने जब उसके साथ डांस करना चाहा तो सिंड्रेला की सौतेली बहनों के साथ साथ वहां मौजूद सभी लड़कियाँ सिंड्रेला से जलने लगीं। लेकिन कोई सिंड्रेला को पहचान नही पाया। राजकुमार ने उसे देखते ही फैसला कर लिया था कि वह इसी लड़की से शादी करेगा। सिंड्रेला भी राजकुमार की आखों में ऐसी डूबी कि उसे जादूगरनी की बात याद ही नही रही। देखते ही देखते १२ बज गए। घंटी बजते ही सिंड्रेला को याद अया कि १२ बजे जादू खत्म हो जाना था। सिंड्रेला बिना राजकुमार से कुछ कहे वहाँ से भाग निकली। वह नही चाहती थी कि राजकुमार उसे उसके पुराने, गंदे कपड़ो मे देखे और उससे नफरत करे। भागते वक्त सिंड्रेला की कांच की एक जूती महल में ही छूट गयी जो राजकुमार ने उठा ली। राजकुमार ने बहुत कोशिश की सिंड्रेला को ढूँढने की लेकिन वह उसे कहीं नही मिली। सबने राजकुमार से उसे भूल जाने को कहा लेकिन राजकुमार सिंड्रेला को भूल नही पा रहा था।
आखिरकार सारे राज्य मे ऐलान हुआ कि जिस लड़की के पैरों मे वह जूती आएगी राजकुमार उसी से शादी करेंगे। राज्य मे तो जैसे तूफान आ गया था। हर लड़की राजकुमार से शादी करना चाहती थी। सभी लड़किया अपने आप को उस कांच की जूती की मालकिन बताने लगी। लड़कियों के घर जा जा कर उन्हें जूती पहनाई गयी लेकिन उनमें से किसी को भी वह पूरी नही आई। आखिर में सिंड्रेला की बहनों की बारी आई। दोनो ने हर कोशिश की जूती पहनने की लेकिन कोई फायदा नही हुआ। अब सबकी नज़रे सिंड्रेला पर रुक गयीं। सिंड्रेला ने जब उसे पहना तो वह जूती उसके पैर मे आ गयी जैसे उसी के लिए बनी हो। सिंड्रेला की सौतेली माँ और बहने हैरान और परेशान हो गयीं। किसी को भी उम्मीद नही थी कि वह सुंदर लड़की सिंड्रेला हो सकती है।
राजकुमार ने जब सिंड्रेला से शादी के लिए पूछा तो सिंड्रेला ने खुशी खुशी हाँ कर दी। अगले ही दिन बड़ी धूम धाम के साथ सिंड्रेला की शादी राजकुमार से हो गयी। राजकुमार और सिंड्रेला एक दूसरे के साथ बहुत खुश थे और एक दूसरे को बहुत चाहते थे। दूसरी तरफ सिंड्रेला की सौतेली माँ और बहनों को सिंड्रेला के साथ बुरा व्यवहार करने की सज़ा के रूप मे राज्य छोड़ कर जाना पड़ा।
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एक सिंड्रेला ऐसी भी
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1) बेबी हालदार की कहानी कहां-कहां से छपी?
उत्तर- बेबी हालदार की कहानी ' आलो -अंधारी ' शिर्षक से ' जुबान प्रकाशन ' तथा ' अ लाइफ़लैस आर्डिनेंस ' शीर्षक से पेंग्विन पब्लिकेशन , न्यूयॉर्क टाइम्स, इंटरनेशनल हेराल्ड, ट्रिब्यून, क्रिश्चन मॉनिटर ने भी उनकी कहानी को प्रकाशित किया । लंदन में फिल्म मेकिंग का कोर्स कर रहे एक भारतीय छात्र ने उनकी कहानी पर एक डॉक्यूमेंट्री भी बनाई
2) बेबी हालदार का जीवन किन परिस्थितियों में बीता अपने शब्दों में लिखिए
उत्तर - बेबी हालदार का बचपन का अभाव व कष्ट भरी परिस्थितियों में बीता जब से उन्होंने होश संभाला है तब से अपनी मां तथा भाई बहनों के साथ स्वयं को भी पिटते देखा जब वह 5 साल की थी तब उसकी मां दुखी होकर घर से सदा के लिए चली गई और उनको पिता ने दूसरी शादी कर ली नई मां ने उनकी किशोर उम्र में ही अधेड़ व्यक्ति के साथ शादी करा दी पिता ने भी नई मां का साथ दिया
3) घर में काम करने के बदले बेबी हालदार मालिकों से क्या अपेक्षा करती थी?
उत्तर - घर में काम करने के बदले बेबी हालदार मालिकों से यही अपेक्षा करती थी कि वे उसे काम देते रहे ताकि उसके बच्चों को दो वक्त की रोटी ,रहने के लिए स्थान और पढ़ाई का इंतजाम हो सके बेबी हालदार अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करती थी उसकी है तलाश प्रोफेसर प्रबोध कुमार के घर आकर समाप्त हुई ।
4) प्रो. प्रबोध कुमार के घर में काम करते हुए हालदार का जीवन कैसे बदला ?
उत्तर - एक दिन बेबी हालदार किताबों का रैक साफ करते समय किताबों के पन्ने उलट-पुलट रही थी । प्रो. कुमार में किताबों के प्रति उनकी रुचि देखकर उन्हें बांग्ला लेखकों की कुछ किताबें पढ़ने को दी और कहा कि पढ़ने के बाद अपनी राय उन्हें बताएं । कुछ समय बाद प्रो. कुमार की प्रेरणा से अपनी कहानी लिखने लगी उनकी इस रचना को जो प्रकाशकों ने प्रकाशित किया इस प्रकार उनके जीवन की दिशा ही बदल गई।
5) लेखिका ने बेबी हालदार को सिंड्रेला क्यों कहा ?
उत्तर - लेखिका ने बेबी हालदार को सिंड्रेला कहा क्योंकि जिस प्रकार सिंड्रेला की दुखों और अभाव से भरी जिंदगी को एक परी ने सुखों से भर दिया था उसी प्रकार बेबी हालदार की कष्ट पूर्ण तथा अभावग्रस्त जिंदगी को प्रो. प्रबोध कुमार ने सुखो से भर दिया।