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Explain the meaning of financi
. उद्यमी की पाँच प्रमुख समस्याएँ को समझाइए।
Discuss the main five problems of the e
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Explanation:
किसी भी देश में आर्थिक विकास की गति को बढ़ावा देने तथा व्यावसायिक समस्याओं का समाधान करने में उद्यमी की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण हो गई है। वास्तव में उद्यमिता आर्थिक एक सामाजिक परिवर्तनों की प्रक्रिया है। यह एक नये औद्योगिक समाज की रचना का मार्ग है। ऐसे में उद्यमी के द्वारा जो भी कार्य किये जाते हैं उसमें उद्यमी को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिनमें निम्नलिखित समस्याएँ प्रमुख हैं-
1. नवप्रवर्तन की समस्या- आज विश्व के लगभग सभी देश एक वैश्विक ग्राम की तरह हो गये हैं। इनमें वे कुछ देश जो पूँजी, तकनीक एवं नये आविष्कारों के मामले में सबसे आगे हैं जिन्हें विकसित देश कहा जाता है, अपने उत्पाद की नई श्रृंखला तुरन्त बाजार में ले आते हैं, लेकिन अल्पविकसित देश का उद्यमी इन उत्पादों की प्रतियोगिता के सामने ठहर ही नहीं पाता क्योंकि उसके पास नवीनतम तकनीक नहीं है व नवप्रवर्तन उसकी फितरत भी नहीं होती। अत: यह एक बड़ी समस्या उद्यमी के सामने होती है।
2. जोखिम प्रबन्धन की समस्या- उद्यमी का प्रमुख कार्य व्यावसायिक जोखिमों, अनिश्चितताओं, संकटों व विभिन्न हानियों की उचित प्रबन्ध व्यवस्था करना है। उद्यमी जोखिमों की प्रकृति एवं गम्भीरता के आधार पर जोखिम प्रबन्ध की उचित तकनीक का प्रबन्ध करता है। कई जोखिमों को उचित जागरुकता द्वारा रोका या टाला जा सकता है, कई जोखिमों का हस्तांतरण व बीमा करवाया जा सकता है। हमारे यहाँ अधिकांश उद्यम प्रकृति द्वारा प्रदत्त सामग्री अर्थात् कृषि एवं वनोपज पर निर्भर है तथा इन प्राकृतिक आपदाओं (अतिवृष्टि या अनावृष्टि) की जोखिम से बचना लगभग नामुमकिन होता है।
3. सूचनाओं के संग्रहण की समस्या- नवप्रवर्तन हमारे उद्यमी की पहली समस्या है एवं उसी से सम्बन्धित है यह समस्या। नवप्रवर्तन की प्रक्रिया के लिए नये तथ्यों, आँकड़ों व सूचनाओं का होना आवश्यक होता है। हमारा मौसम विभाग यदि भारी वर्षा की चेतावनी दे दे तो अगले पूरे सप्ताह तेज धूप निकलती है। हमारे यहाँ बाहर देशों के कितने लोग आकर अपना काम बनां जाते हैं। हमें दूसरे विकसित देशों से इसकी जानकारी मिलती है। इन सबका प्रभाव उद्यमी के कार्यों पर भी पड़ता है। उसे बाजार, दशाओं, उपभोक्ता प्रवृत्तियों, नये उत्पादों, व्यावसायिक परिवर्तनों व सरकारी नीतियों का ज्ञान होना चाहिए लेकिन नवीनतम् सूचना तकनीक के अभाव में वह इस ज्वलंत समस्या से जूझता रहता है।
4. नियोजित विस्तार की समस्या- उद्यमी को बाजार की माँग व सम्भावित लाभों की स्थिति को देखते हुए अपेन व्यवसाय का विस्तार भी करना होता है। किन्तु अनियोजित विस्तार न केवल संसाधनों के दुरुपयोग को बढ़ाता है, वरन् कई वित्तीय एवं प्रबन्धकीय समस्याओं को भी खड़ा कर देता है। अत: उद्यमिता की एक महत्वपूर्ण समस्या सम्भावित बिक्री, लागतों, प्रबन्ध कौशल, संगठनात्मक ढाँचे आदि का विवेकपूर्ण विश्लेषण करते हुये उद्यम के द्रुत विस्तार की योजना बनाने की होती है।
5. आर्थिक सत्ता के सामाजिक उपयोग की समस्या- उद्यमी अत्यधिक लाभ कमाकर समाज में अपनी आर्थिक सत्ता स्थापित कर सकता है। कई एकाधिकार की स्थिति में रहने वाले उद्यम उपभोक्ता का शोषण कर सकते हैं। किन्तु समाज की दृष्टि से व्यवसाय की आर्थिक सत्ता का समाज के हितों में ही उपभोग किया जाना चाहिये। वृहत् उद्यमों पर सामाजिक नियन्त्रण बनाये रखना आवश्यक होता है। स्वयं उद्यमी को समाज के हितों की पूर्ति करते हुए लाभ अर्जित करना होता है। यह लाभ व सेवा में उचित सामंजस्य की समस्या है।