Hindi, asked by 219352dymmps, 4 months ago

class 10 chapter 3 hindi explanation of the dev

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Answered by bobyjaiswal48
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Answer:

दीरघ जीवन ,विविध सुख ,रची 'सतसई ' एक।।

अर्थात मांज कर ,पौंछ कर और चमका कर अनेक प्रयास करने के बाद ऐसी प्रतिभा सामने आइ हैं ,लंबा जीवन, अनेक सुख वाले बिहारी ने एक ग्रंथ 'बिहारी सतसई 'की रचना की। 'बिहारी सतसई 'में सात सौ दोहे हैं। दोहा जैसे छोटे से छंद में गहरे अर्थों को कहने के कारण कहा जाता है कि बिहारी थोड़े शब्दों में बहुत कुछ कहने में माहिर थे। उनके दोहों के अर्थों की गंभीरता को देखकर कहा जाता है कि

सतसैया के दोहरे ,ज्यों नावक के तीर।

देखन में छोटे लगै ,घाव करें गंभीर।।

अर्थात सतसई के दोहे ऐसे हैं जैसे किसी मधुमक्खी का डंक ,जो देखने में तो छोटा लगता है लेकिन घाव बहुत गहरा देता है।

बिहारी की भाषा ब्रज भाषा है। सतसई में मुख्यतः प्रेम और भक्ति को दर्शाने वाले दोहे हैं। बिहारी मुख्य रूप से श्रृंगार रस के लिए जाने जाते हैं। इस पाठ में बिहारी के कुछ दोहे दिए जा रहे हैं। इन दोहों में श्रृंगार के साथ - साथ लोक - व्यवहार , नीति ज्ञान आदि विषयों का वर्णन भी किया गया है। इन दोहों से आपको भी ज्ञात होगा कि बिहारी कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक अर्थ भरने की कला भली भांति जानते हैं।

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दोहे (Bihari Ke Dohay) Class 10 Hindi Sparsh Chapter 3 Notes, Summary, Question Answers

Dohe | Bihari Ke Dohe, Bihari ke Dohe Class 10, Explanation, Summary, Difficult words meaning of Dohe (Bihari ke Dohe) Class 10

Bihari ke Dohe (दोहे) - CBSE Class 10 Hindi Lesson summary with a detailed explanation of the lesson 'Dohe' by Bihari along with meanings of difficult words.

Given here is the complete explanation of the lesson Bihari Ke Dohe, along with a summary and all the exercises, Question and Answers given at the back of the lesson

See Video Explanation of Hindi Chapter 1 Dohay - Bihari ke Dohay

Class 10 Hindi Chapter 3 Dohay

कक्षा 10 हिंदी पाठ - 3 दोहे

dohay

Author Introduction - कवि परिचय

कवि - बिहारी

जन्म - 1595 (ग्वालियर )

मृत्यु - 1663

Video Explanation of Hindi Chapter 3 Dohay ( Bihari ke dohay)

Dohe (दोहे) Chapter Introduction - पाठ प्रवेश

मांजी,पौंछी,चमकाइ ,युत -प्रतिभा जतन अनेक।

दीरघ जीवन ,विविध सुख ,रची 'सतसई ' एक।।

अर्थात मांज कर ,पौंछ कर और चमका कर अनेक प्रयास करने के बाद ऐसी प्रतिभा सामने आइ हैं ,लंबा जीवन, अनेक सुख वाले बिहारी ने एक ग्रंथ 'बिहारी सतसई 'की रचना की। 'बिहारी सतसई 'में सात सौ दोहे हैं। दोहा जैसे छोटे से छंद में गहरे अर्थों को कहने के कारण कहा जाता है कि बिहारी थोड़े शब्दों में बहुत कुछ कहने में माहिर थे। उनके दोहों के अर्थों की गंभीरता को देखकर कहा जाता है कि

सतसैया के दोहरे ,ज्यों नावक के तीर।

देखन में छोटे लगै ,घाव करें गंभीर।।

अर्थात सतसई के दोहे ऐसे हैं जैसे किसी मधुमक्खी का डंक ,जो देखने में तो छोटा लगता है लेकिन घाव बहुत गहरा देता है।

बिहारी की भाषा ब्रज भाषा है। सतसई में मुख्यतः प्रेम और भक्ति को दर्शाने वाले दोहे हैं। बिहारी मुख्य रूप से श्रृंगार रस के लिए जाने जाते हैं। इस पाठ में बिहारी के कुछ दोहे दिए जा रहे हैं। इन दोहों में श्रृंगार के साथ - साथ लोक - व्यवहार , नीति ज्ञान आदि विषयों का वर्णन भी किया गया है। इन दोहों से आपको भी ज्ञात होगा कि बिहारी कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक अर्थ भरने की कला भली भांति जानते हैं।

CBSE Class 10 Hindi Lessons

Saakhi

Dohay

Manushyata

Parvat Pravesh Mein Pavas

Madhur Madhur Mere Deepak Jal

Kar Chale Hum Fida

Dohay (दोहे) Chapter Summary - पाठसार

प्रस्तुत दोहे कविवर बिहारी द्वारा रचित ग्रन्थ 'बिहारी सतसई 'से लिए गए हैं। इसमें कवि ने भक्ति ,नीति व् श्रृंगार भाव का सुन्दर मेल प्रस्तुत किया है। पहले दोहे में कवि कहते हैं कि श्री कृष्ण के नीलमणि रूपी साँवले शरीर पर पीले वस्त्र रूपी धूप अत्यधिक शोभित हो रही है। दूसरे दोहे में कवि भयंकर गर्मी का वर्णन करते हुए कहते हैं कि गर्मी के कारण जंगल तपोवन बन गया है जहाँ सभी जानवर आपसी द्वेष भुलाकर एक साथ बैठे हैं। तीसरे दोहे में कवि गोपियों की श्री कृष्ण के साथ बात करने की उत्सुकता को प्रकट करते हैं और कहते हैं कि गोपियों ने श्री कृष्ण की बाँसुरी को चुरा लिया है। चौथे दोहे में कवि नायक और नायिका द्वारा भीड़ में भी किस तरह आँखों ही आँखों में बात की जाती है इस बात का वर्णन करते हैं। पांचवें दोहे में कवि जून के महीने की भीषण गर्मी का वर्णन करते हुए कहते हैं कि गर्मी इतनी अधिक बढ़ गई है कि छाया भी छाया ढूंढ़ने के लिए घने जंगलों व घरों में छिप गई है। छठे दोहे में कवि कहते हैं कि नायिका नायक को सन्देश भेजना चाहती है परन्तु अपनी विरह दशा का वर्णन कागज़ पर नहीं कर पा रही है न ही किसी को बता पा रही है वह चाहती है कि नायक उसकी विरह दशा का अनुमान स्वयं लगाए। सातवे दोहे में कवि श्री कृष्ण से कहते हैं कि आप चन्द्रवंश में पैदा हुए हो और स्वयं ब्रज आये हो। कवि श्री कृष्ण की तुलना अपने पिता से कर रहे हैं और कहते हैं कि आप मेरे पिता के समान हैं ,अतः मेरे सारे कष्ट नष्ट कर दो। अन्तिम दोहे में कवि आडम्बर से बचने व ईश्वर की सच्ची भक्ति करने को कहते हैं और बताते हैं कि सच्ची भक्ति से ही ईश्वर प्रसन्न होते हैं।

Explanation:

here is the explanation

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