History, asked by harikeshreji, 10 months ago

CLASS 10 HINDI::::Kavi ke anusaar vedom ne kis satye ko ujagar kiya hai aur anardh kya hai​

Answers

Answered by khushi02022010
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Answer:

कवि ने कैसी मृत्यु को ‘सुमृत्यु’ कहा है?

उत्तर: जो मनुष्य दूसरों के लिए अच्छे काम कर जाता है उस मनुष्य को मरने के बाद भी लोग याद रखते हैं। कवि ने ऐसी मृत्यु को ही सुमृत्यु कहा है।

उदार व्यक्ति की पहचान कैसे हो सकती है?

उत्तर: जो आदमी पूरे संसार में अत्मीयता और भाईचारा का संचार करता है उसी व्यक्ति को उदार माना जा सकता है।

कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर ‘मनुष्यता’ के लिए क्या संदेश दिया है?

उत्तर: कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर मनुष्यता के लिए एक अहम संदेश दिया है। वे परोपकार का संदेश देना चाहते हैं। दूसरे का भला करने में चाहे अपना नुकसान ही क्यों न हो, लेकिन हमेशा दूसरे का भला करना चाहिए।

कवि ने किन पंक्तियों में यह व्यक्त किया है कि हमें गर्व रहित जीवन व्यतीत करना चाहिए?

उत्तर: कवि ने निम्न पंक्तियों में यह व्यक्त किया है कि हमें गर्व रहित जीवन व्यतीत करना चाहिए।

रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में,

सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।

‘मनुष्य मात्र बंधु है’ से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: इन शब्दओं से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सभी मनुष्य हमारे भाई बंधु हैं। कवि के अनुसार इस बात की समझ एक बहुत बड़ा विवेक है।

कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा क्यों दी है?

उत्तर: मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। मनुष्य का जीवन आपसी सहकारिता पर निर्भर करता है। इसलिए कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा दी है।

व्यक्ति को किस प्रकार का जीवन व्यतीत करना चाहिए? इस कविता के आधार पर लिखिए।

उत्तर: किसी भी व्यक्ति को केवल अपने लिए जीने की कोशिश नहीं करना चाहिए। मनुष्य को दूसरों के लिए जीना चाहिए । इसी में सबका भला है।

'मनुष्यता’ कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहता है?

उत्तर: इस कविता के माध्यम से कवि आपसी भाईचारे का संदेश देना चाहते हैं।

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Answered by itzDivya36
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

1. कवि ने कैसी मृत्यु को सुमृत्यु कहा है?

उत्तर:- प्रत्येक मनुष्य समयानुसार अवश्य मृत्यु को प्राप्त होता है क्योंकि जीवन नश्वर है। इसलिए मृत्यु से डरना नहीं चाहिए बल्कि जीवन में ऐसे कार्य करने चाहिए जिससे उसे बाद में भी याद रखा जाए। उसकी मृत्यु व्यर्थ न जाए। जो केवल अपने लिए जीते हैं वे व्यक्ति नहीं पशु के समान हैं। जो मनुष्य सेवा, त्याग और बलिदान का जीवन जीते हैं और किसी महान कार्य की पूर्ति के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं, उनकी मृत्यु सुमृत्यु कहलाती हैं।

2. उदार व्यक्ति की पहचान कैसे हो सकती है?

उत्तर:- उदार व्यक्ति परोपकारी होता है। अपना पूरा जीवन पुण्य व लोकहित कार्यो में बिता देता है। किसी से भेदभाव नहीं रखता, आत्मीय भाव रखता है। कवि और लेखक भी उसके गुणों की चर्चा अपने लेखों में करते हैं। वह निज स्वार्थों का त्याग कर जीवन का मोह भी नहीं रखता। अर्थात् उदार व्यक्ति के मन, वचन, कर्म से संबंधित कार्य मानव मात्र की भलाई के लिए ही होते हैं।

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