Geography, asked by amritamariam2, 7 months ago

class 10 ke utsah ka kavya saundary bataye​

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Answered by jenneyayushgmail
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Answer:

बादल प्रकृति का अद्भूत सौंदर्य है जो सब जगह खुशी फैला देता। जब बादल छाते है तो मयूर नाचने लगते और मनमयूर भी नाचने लगते है। यह विभिन्न कार्यों से आवाहन कराते है।

कवि सूर्यकांत त्रिपाठी प्रार्थना करते है कि बादल गरजो और भयानक आवाज से गरजना करो। चारो ओर से गगन घेर लो और धराधर बरसो। इस प्रकार बरसों की धाराएँ गिरने लगे। बादलो के सुंदर-सुंदर घुंघराले बाल विभिन्न प्रकार के आकार बनाते है। बच्चे अपनी कलप्ना के आधार पर विभिन्न रूप और आकार बना लेते है और काल्पनिक आकार बना लेते है। कवियों को बादलों से नई कविताएँ लिखने की प्रेरणा प्राप्त होती है। नवीन सृजन (नई रचनाएँ, कविताएँ) करने की प्रेरणा मिलती है। आपके इस गरजना में क्रांति का हथियार छिपा है और अपने सौंदर्य से कवियों में नवीन कविताएँ लिखने की फिर उमंग भर दो।

कवि फिर प्रार्थना करते है कि बादलों गरजों। वह बादलों को गरजने की प्रर्थना इसलिए कर रहे हैं क्योंकि समस्त संसार गर्मी के कारण परेशान और उदास है। सम्पूर्ण संसार गर्मी के कारण तपा हुआ है (तपिश से भरा), जला हुआ है और सभी लोग इस गर्मी के कारण दुखी है। तुम किस दिशा से आओ, यह पता नहीं है और पूरी तरह से छा जाते है। इस तप्त धरती को अपने जल से प्यारा दूर कर दो और इस पृथ्वी को शीतल, शांत और तृप्त और (ठंडक) कर दो। कवि बादलों को फिर से गरजने की प्रार्थना करते है।

Answered by biswaskumar3280
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Explanation:

प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने बारिश होने से पहले आकाश में दिखने वाले काले बादलों के गरज़ने और आकाश में बिजली चमकने का अद्भुत वर्णन किया है। कवि कहते हैं कि बादल धरती के सभी प्राणियों को नया जीवन प्रदान करते हैं और यह हमारे अंदर के सोये हुए साहस को भी जगाते हैं।

आगे कवि बादल से कह रहे हैं कि “हे काले रंग के सुंदर-घुंघराले बादल! तुम पूरे आकाश में फैलकर उसे घेर लो और खूब गरजो। कवि ने यहाँ बादल का मानवीयकरण करते हुए उसकी तुलना एक बच्चे से की है, जो गोल-मटोल होता है और जिसके सिर पर घुंघराले एवं काले बाल होते हैं, जो कवि को बहुत प्यारे और सुन्दर लगते हैं।

आगे कवि बादल की गर्जन में क्रान्ति का संदेश सुनाते हुए कहते हैं कि हे बादल! तुम अपनी चमकती बिजली के प्रकाश से हमारे अंदर पुरुषार्थ भर दो और इस तरह हमारे भीतर एक नये जीवन का संचार करो! बादल में वर्षा की सहायता से धरती पर नया जीवन उत्पन्न करने की शक्ति होती है, इसलिए, कवि बादल को एक कवि की संज्ञा देते हुए उसे एक नई कविता की रचना करने को कहते हैं।

कवि बादलों को क्रांति का प्रतीक मानते हुए यह कल्पना कर रहे हैं कि वह हमारे सोये हुए पुरुषार्थ को फिर से जगाकर, हमें एक नया जीवन प्रदान करेगा, हमें जीने की नई आशा देगा। कवि इन पंक्तियों में कहते हैं कि भीषण गर्मी के कारण दुनिया में सभी लोग तड़प रहे थे और तपती गर्मी से राहत पाने के लिए छाँव व ठंडक की तलाश कर रहे थे।

तभी किसी अज्ञात दिशा से घने काले बादल आकर पूरे आकाश को ढक लेते हैं, जिससे तपती धूप धरती तक नहीं पहुँच पाती। फिर बादल घनघोर वर्षा करके गर्मी से तड़पती धरती की प्यास बुझाकर, उसे शीतल एवं शांत कर देते हैं। धरती के शीतल हो जाने पर सारे लोग भीषण गर्मी के प्रकोप से बच जाते हैं और उनका मन उत्साह से भर जाता है।

इन पंक्तियों में कवि ये संदेश देना चाहते हैं कि जिस तरह धरती के सूख जाने के बाद भी बादलों के आने पर नये पौधे उगने लगते हैं। ठीक उसी तरह अगर आप जीवन की कठिनाइयों के आगे हार ना मानें और अपने पुरुषार्थ पर भरोसा रखकर कड़ी मेहनत करते रहें, तो आपके जीवन का बगीचा भी दोबारा फल-फूल उठेगा। इसलिए हमें अपने जीने की इच्छा को कभी मरने नहीं देना चाहिए और पूरे उत्साह से जीवन जीने की कोशिश करनी चाहिए।

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