class 10 manviya karuna ki divya chamak short summary
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मानवीय करुणा की दिव्य चमक पाठ का सार
मानवीय करुणा की दिव्य चमक पाठ में सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी ने फादर बुल्के के बारे में बताया है। 'मानवीय करुणा की दिव्य-धमक' पाठ में हिंदी के प्रसिद्ध विद्वान एवं महापुरुष फादर कामिल बुके का वर्णन है। फादर कामिल बुल्के के लिए यह विशेषण उनकी करुणा भरे हृदय की विशालता को दर्शाता है। लेखक ने लिखा है कि “उनको देखना करुणा के निर्मल जल में स्नान करने जैसा था। वास्तव में, इस साप में अत्यधिक ममता, अपनत्व अपने हर प्रियजन के लिए उमड़ता रहता था। वे स्वयं कष्ट सहकर भी दूसरों के दुखों को दूर करते थे। प्रतिकूल एवं विषम परिस्थितियों में भी दिल से जुड़े लोगों का साथ कभी नहीं छोड़ते थे। लेखक की पत्नी और पुत्र की मृत्यु पर फादर के मुख से सांत्वना के जादू भरे शब्द इस बात के प्रमाण । उनके अंदर मानवीय करुणा की अपार भावनाओं के मौजूद रहने के कारण ही उनके लिए 'मानवीय करुणा की दिव्य चमक' विशेषण का प्रयोग किया गया |
फादर बुल्के भारतीय संस्कृति के एक अभिन्न अंग थे। वे बेल्जियम से आये थे पर भारतीयों के लिए उन्हें बहुत प्रेम था। वे भारत को अपना देश मानते थे। उन्हें हिंदी भाषा से बहुत प्रेम था। उन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए अनेक प्रयत्न किये। उन्होंने ब्लू-बर्ड और बाइबिल को हिंदी में लिखा। वे हिंदी भाषा व साहित्य से सम्बंधित संस्थाओं से जुड़े हुए थे। वे लेखकों को स्पष्ट राय देते थे। वे राँची के सेंट ज़वियर्स कॉलेज में हिंदी तथा संस्कृति विभाग के विभागाध्यक्ष थे। उन्होंने अंग्रेजी - हिंदी कोश तैयार किया।
वह लोगों के सुख दुख में शामिल होते थे। उनके मन में सबके लिए करुणा थी और वे सबके प्रति सहानुभूति व्यक्त करते थे। उनकी आँखों में एक दिव्य चमक थी जिसमें असीम वात्सल्य था। लोग उन्हें बहुत प्यार करते थे और उनकी मृत्यु पर असंख्य लोगों ने दुख प्रकट किया । फ़ादर बुल्के मानवीय व नैतिक गुणों से ओत-प्रोत थे। उनके मन में सबके प्रति कल्याण की भावना थी। वे स्नेह, करुणा, वात्सल्य जैसे गुणों से दूसरों का दुख दूर कर देते थे। उन्होंने कभी क्रोध नहीं किया। उनका हृदय ममता व प्यार से भरा रहता था। इन गुणों के कारण फ़ादर की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी लगती थी।