Class 10th chapter netaji ka chashma gatividhi kahani mein ek feri wale ka varnan kiya gaya hai kisi feri wale ki dincharya ke bare mein apne vichar likhiye
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नेताजी का चश्मा’ पाठ में एक फेरी वाले का वर्णन किया गया है, जो कि चश्मा बेचने की फेरी लगाता था और वह एक पान वाले के सामने और नेताजी की मूर्ति के पास चौराहे पर नित्य अपनी फेरी लगाता था।
हमारे घर के पास भी एक ऐसा ही फेरी वाला है, जो नित्य अपनी फेरी लगाता है। वह अपनी फेरी में तरह-तरह के खिलौने बेचता है। उसके पास बहुत सारे खिलौने होते हैं। एक बार उससे बात हुई तो उसने बताया उसका पूरा परिवार स्वयं अपने हाथों से घर पर खिलौने बनाता है। वे लोग पतली लकड़ियों और बाँस तथा रंग-बिरंगे चमकीलें कागजों से तरह-तरह के खिलौने बनाते हैं। उसके परिवार में 4 सदस्य हैं, चारों लोग मिलकर पहले पूरा दिन खिलौने बनाते हैं और शाम को वह खिलौने वाला खिलौने को बेचने के लिए निकलता है। वह रोज शाम को 4:00 बजे अपनी फेरी लगा लेता है और 8:00 बजे तक खिलौने बेचता रहता है। वह आते ही आवाज लगाने लगता है, और उसकी आवाज सुनकर सारे बच्चे उसकी फेरी के आसपास इकट्ठे हो जाते हैं। वो खिलौने वाला रोज नये-नये खिलौने लेकर आता है महल्ले के सारे बच्चे उसके बनाये खिलौनों के दीवाने हैं।
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जय हिन्द
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uss frei wale ka nam captan tha vh chasme ki feri lagata tha . netaji ki murti par chasma nhi tha veh unki murti par chasma lagata iss se yeh pata chalta h ki uss ki man me savtantra sananiyo ki liye bhout ijjat thi uss ka ek per nhi tha par fir bhi veh ek saccha desh bakt tha