Hindi, asked by sukanyaverma570, 4 months ago

Class 12th book antra chapter 1st ke ncert question answers

Answers

Answered by maheshatrijjr
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Answer:

Question 1

मैंने भ्रमवश जीवन संचित, मधुकरियों की भीख लुटाई"‐ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।

ANSWER:

प्रस्तुत पंक्ति में देवसेना की वेदना का परिचय मिलता है। वह स्कंदगुप्त से प्रेम कर बैठती है परन्तु स्कंदगुप्त के हृदय में उसके लिए कोई स्थान नहीं है। जब देवसेना को इस सत्य का पता चलता है, तो उसे बहुत दुख होता है। वह स्कंदगुप्त को छोड़कर चली जाती है। उन्हीं बीते पलों को याद करते हुए वह कह उठती है कि मैंने प्रेम के भ्रम में अपनी जीवन भर की अभिलाषाओं रूपी भिक्षा को लुटा दिया है। अब मेरे पास अभिलाषाएँ बची ही नहीं है। अर्थात् अभिलाषों के होने से मनुष्य के जीवन में उत्साह और प्रेम का संचार होता है। परन्तु आज उसके पास ये शेष

Question 2

कवि ने आशा को बावली क्यों कहा है?

आशा' बहुत बलवती होती है परन्तु इसके साथ ही वह बावली भी होती है। आशा यदि डूबे हुए को सहारा देती है, तो उसे बावला भी कर देती है। प्रेम में तो आशा बहुत अधिक बावली होती है। वह जिसे प्रेम करता है, उसके प्रति हज़ारों सपने बुनता है। फिर उसका प्रेमी उसे प्रेम करे या न करे। वह आशा के सहारे सपनों में तैरता रहता है। यही कारण है कि आशा बावली होती है।

Question 3

"मैंने निज दुर्बल..... होड़ लगाई" इन पंक्तियों में 'दुर्बल पद बल' और 'हारी होड़' में निहित व्यंजना स्पष्ट कीजिए।

Answer

दुर्बल पद बल' देवसेना के बल की सीमा का ज्ञान कराता है। अर्थात देवसेना अपने बल की सीमा को बहुत भली प्रकार से जानती है। उसे पता है कि वह बहुत दुर्बल है। इसके बाद भी वह अपने भाग्य से लड़ रही है।

'होड़ लगाई' पंक्ति में निहित व्यंजना देवसेना की लगन को दर्शाता है। देवसेना भली प्रकार से जानती है कि प्रेम में उसे हार ही प्राप्त होगी परन्तु इसके बाद भी पूरी लगन के साथ प्रलय (हार) का सामना करती है। वह हार नहीं मानती।

Question 4:

काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-

(क) श्रमित स्वप्न की मधुमाया ......... तान उठाई।

(ख) लौटा लो .......................... लाज गँवाई

ANSWER

Explanation:

(क) इस काव्यांश की विशेषता है कि इसमें स्मृति बिंब बिखरा पड़ा है। देवसेना स्मृति में डूबी हुई है। उसे वे दिन स्मरण हो आते हैं, जब उसने प्रेम को पाने के लिए अथक प्रयास किए थे परन्तु वह असफल रही। अब उसे अचानक उसी प्रेम का स्वर सुनाई पड़ रहा है। यह उसे चौंका देता है। विहाग राग का उल्लेख किया गया है। इसे आधी राती में गाया जाता है। स्वप्न को कवि ने श्रम रूप में कहकर गहरी व्यंजना व्यक्त की है। स्वप्न को मानवी रूप में दर्शाया है। गहन-विपिन एवं तरु-छाया में समास शब्द हैं। इन पंक्तियों के मध्य देवसेना की असीम वेदना स्पष्ट रूप से दिखती है।

(ख) इस काव्यांश की विशेषता है कि इसमें देवसेना की निराशा से युक्त हतोत्साहित मनोस्थिति का पता चलता है। स्कंदगुप्त का प्रेम वेदना बनकर उसे प्रताड़ित कर रहा है। 'हा-हा' शब्द पुनरुक्ति प्रकाश अंलकार का उदाहरण हैं।

Question 5:

देवसेना की हार या निराशा के क्या कारण हैं?

ANSWER:

सम्राट स्कंदगुप्त से राजकुमारी देवसेना प्रेम करती थी। उसने अपने प्रेम को पाने के लिए बहुत प्रयास किए। परन्तु उसे पाने में उसके सारे प्रयास असफल सिद्ध हुए। यह उसके लिए घोर निराशा का कारण था। वह इस संसार में बंधु-बांधवों रहित हो गई थी। पिता पहले ही मृत्यु की गोद में समा चुके थे तथा भाई भी युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुआ था। वह दर-दर भिक्षा माँगकर गुजरा कर रही थी। उसे प्रेम का ही सहारा था। परन्तु उसने भी उसे स्वीकार नहीं किया था।

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