class 2 hindi questions answered megha megha pani de. megha hame in kaha dikhayi deti hai
Answers
if you are talking about kaale megha paani de poem
then
mam esmai megha koi ladki nhi hai
megha = badal
badal se barsaat(paani) hoti h
so, wo megha matlab badal se barrish k liye bol rhe hai.
Explanation:
निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए =
प्रश्न 1:
उन लोगों के दो नाम धे-इंदर सैना या मेढक-मंडली। बिलकुल एक-दूसरे के विपरीत। जो लोग उनके नग्नस्वरूप शरीर, उनकी उछल-कूद, उनके शोर-शराब और उनके कारण गली में होने वाले कीचड़ कॉदों से चिढ़ते थे, वे उन्हें कहते थे मेढ़ क-मंडली। उनकी अगवानी गालियों से होती थी। वे होते थे दस-बारह बरस से सोलह-अठारह बरस के लड़के, साँवला नंगा बदन सिर्फ एक जधिया या कभी-कभी सिर्फ लैंगोटी। एक जगह इकड़े होते थे। पहला जयकारा लगता था, 'बोल गंगा मैया की जय जयकारा सुनते ही लोग सावधान हो जाते थे। स्त्रियाँ और लड़कियों को बारजे से झाँकने लगती थीं और यह विचित्र नंग-धडंग टोली उछलती-कूदती समवेत पुकार लगाती थी।
प्रश्न
1, गाँव से पानी मांगने वालों के नाम क्या थे? ये पानी क्यों माँगते थे
2. मेक-मंझली से क्या तात्पर्य है।
3. मेढ़क सडली में कैसे लड़के होते थे?
4. इंदर सेना के जयकारे की क्या प्रतिक्रिया होती थी?
उत्तर =
1. गाँव से पानी माँगने वालों के नाम थे-मेढक-मंडली या इंदर सेना। गाँवों में जब आषाढ़ में पानी नहीं बरसता धा या' सूखा पड़ने का अंदेशा होता था तो लड़के इंद्र देवता से पानी माँगते थे।
2. जो बच्चे मेड़क की तरह उछल-कूद, शोर-शराबा व कीचड़ करते थे, उन्हें मेढक-मंडली कहा जाता था।
3, मेढकमंडली में दस-बारह वर्ष से सौलह अठारह वर्ष के लड़के होते थे। इनका रंग साँवला होता था तथा ये वस्त्र के नाम पर सिर्फ एक धिया या कभी-कभी सिर्फ लँगोटी पहनते थे।
4. इंदर सेना या मेढक मंडली का जयकारा "बोल गंगा मैया की जय” सुनते ही लोगों में हलचल मच जाती थी। स्त्रियाँ और लकियाँ बार से इस टोली के क्रियाकलाप देखने लगती थीं।
प्रश्न 2:
सचमुच ऐसे दिन होते जब गली-मुहल्ला, गाँव-शहर हर जगह लोग गरमी में भुन-भुन कर त्राहिमाम कर रहे होते, जेठ के दसतपा बीतकर भाषाढ़ का पहला पखवारा भी बीत चुका होता, पर क्षितिज पर कहीं बादल की रेख भी नहीं दिखती होती, कुएँ सूखने लगते, नलों में एक तो बहुत कम पानी आता और आता भी तो आधी रात को भी मान खौलता हुआ पानी हो। शहरों की तुलना में गाँव में और भी हालत खराब होती थी। जहाँ जुताई होनी चाहिए वहाँ खेतों की मिट्टी सूख कर पत्थर हो जाती, फिर उसमें पपड़ी पड़कर जमीन फटने लगती, लूऐसी कि चलते चलते आदमी आधे रास्ते में लू खाकर गिर पड़े। ढोर इंगर प्यास के मारे मरने लगते लेकिन बारिश का कहीं नाम निशान नहीं, ऐसे में पूजा-पाठ कथा-विधान सब करके लोग जब हार जाते तब्य अंतिम उपाय के रूप में निकलती यह इंदर सेना। वर्षा के बादलों के स्यामी हैं इंद्र और इंद्र की सेना टोली बाँधकर कीचड़ में लथपथ निकलती, पुकारते हुए मेघों को, पानी माँगते हुए प्यासे गलों और सूखे खेतों के लिए।
प्रश्न
1. लोगों की परेशानी का क्या कारण था?
2. गाँव में लोगों को क्या दशा होती थी ?
३. गाँव वाले बारिश के लिए क्या उपाय करते थे।
4. इंदर सेना क्या है? वह वया करती हैं।
उत्तर -
1, जब आषाढ़ के पंद्रह दिन बीत चुके होते थे तथा बादलों का नामोनिशान नहीं दिखाई होता था। कुओं का पानी सूख रहा होता था। नलों में पानी नहीं आता। यदि आता भी था तो वह बेहद गरम होता था इसी कारण लोगों को परेशानी होती थी।
2, गाँव में बारिश न होने से हालत अधिक खराब होती थी। खेतों में जहाँ जुताई होनी चाहिए, वहाँ की मिट्टी सूखकर - पत्थर बन जाती थी, फिर उसमें पपड़ी पड़ जाती थी और जमीन फटने लगती थी। लू के कारण लोग चलते-चलते गिर जाते थे। पशु प्यास के कारण मरने लगे थें।
3, गाँव वाले बारिश के देवता इंद्र से प्रार्थना करते थे। वे कहीं पूजा-पाठ करते थे तो कहीं कथा-कीर्तन करते थे। इन सबमें विफल होने के बाद इंदर सेना कीचड़ व पानी में लथपथ होकर वर्षा की गुहार लगाती थी।
4, इंदर सैना उन किशोरों का झुंड होता था जो भगवान इंद्र से वर्षा माँगने के लिए गली-गली घूमकर लोगों से पानी माँगते थे। वे लोगों से मिले पानी में नहाते धे, उछलते-कूदते थे तथा कीचड़ में लथपथ होकर मेघों से पानी माँगते थे।
प्रश्न 3:
पानी की आशा पर जैसे सारा जीवन आकर टिक गया हो। बस एक बात मेरे समझ में नहीं आतीं धीं कि जब चारों ओर पानी की इतनी कमी है तो लोग घर में इतनी कठिनाई से इकट्ठा करके रखा हुआ पानी बाल्टी भर-भरकर इन पर क्यों फेंकते हैं। कैसी निर्मम बरबादी है पानी की। देश की कितनी क्षति होती है इस तरह के अंधविश्वासों से। कौन कहता है इन्हें इंद्र की सेना? अगर इंद्र महाराज से ये पानी दिलवा सकते हैं। तो खुद अपने लिए पानी क्यों नहीं माँग लेते? क्यों मुहल्ले भर का पानी नष्ट करवाते घूमते हैं? नहीं यह सब पाखंड है। अंधविश्वास है। ऐसे ही अंधविश्वासों के कारण हम अंग्रेजों से पिछड़ गए और गुलाम बन गए।
प्रश्न
1. लेखक को कौन-सी बात समझ में नहीं आती?
2. देश को किस तरह के अंधविश्वास से क्षति होती हैं?
3. कौन कहता है इन्हे इंद्र की रोना ? - इरा कथन का व्यग्य स्पष्ट कीजिए।
4. इदर सेना के विरोध में लेखक क्या तक देता हैं?
उत्तर -
1. लेखक को यह समझ में नहीं आता कि जब पानी की इतनी कमी है तो लोग कठिनाई से इकट्टे किए हुए पानी को बाल्टी भर-भरकर इंदर सेना पर क्यों फेंकते हैं। यह पानी की बरबादी है।
2. वर्षा न होने पर पानी की कमी हो जाती है। ऐसे समय में ग्रामीण बच्चों की मंडली पर पानी फेंककर गलियों में पानी बरबाद करने जैसे अंधविश्वासों से देश की क्षति होती है।
3 इस कथन से लेखक ने इंदर सेना और मेढक-मंडली पर व्यंग्य किया है। ये लोग पानी की बरबादी करते हैं तथा पाखंड फैलाते हैं। यदि ये इंद्र से औरों को पानी दिलवा सकते हैं तो अपने लिए ही क्यों नहीं माँग लेते।
4 इंदर सेना के विरोध में लेखक तर्क देता है कि यदि यह सेना इंद्र महाराज से पानी दिलवा सकती है तो यह अपने लिए घड़ा-भर पानी क्यों नहीं माँग लेती? यह सेना मुहल्ले का पानी क् बरबाद करवा रही है?
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