Hindi, asked by 14vs1010582, 5 hours ago

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Answered by chanannadiwal35
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सुमित्रानंदन पंत

काम करती वह सतत, कन-कन कनके चुनती अविरत. घर-आंगन, जनपथ बुहारती. चींटी है प्राणी सामाजिक, वह श्रमजीवी, वह सुनागरिक.

हुए संत तुलसी कहते हैं कि 'वह मानव शरीर व्यर्थ 2. 'भरे बालों की-सी कतरन' के माध्यम से कवि किस ओर है जो सज्जनों और गुरूजनों के सम्मुख नहीं झुकता। ' संकेत करता है? उत्तर : प्रणाम अपने से बड़ों श्रद्धेय तथा आदरणीयजनों चींटी के लघु आकार की ओर संकेत करता है।

कवि चींटी के माध्यम से मनुष्य को सतत कर्म करने की प्रेरणा दे रहा है। कवि के अनुसार चीटियों का लघु स्वरूप और मिल-जुलकर कार्य करने की प्रवृत्ति यह दर्शाती है कि शारीरिक लघुता व्यक्ति की कार्य-क्षमता पर अधिक प्रभावी नहीं हो सकती है।

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