Hindi, asked by anumeha23, 2 months ago

class 8th chapter 1 hindi poem prasang and sandharbh dhvani​

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Answered by muskanjangde861
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Answer:

.अभी न होगा मेरा अंत

अभी-अभी ही तो आया है

मेरे वन में मृदुल वसंत –

अभी न होगा मेरा अंत।

कवि प्रकृति के चित्रण के द्वारा नई युवओं की पीढ़ी को समझाना चाहते है कि वह अपने आलस को छोड़े और नए उत्साह, साहस और जोश के साथ जीवन का आंनद ले। यह उद्देश्य कवि का है और वह युवा पीढ़ी को जागरित करना चाहते है। प्रकृति ने फूलों की भरमार की और उनकी सुन्दरता और खुशबु चारों तरफ फैली हुई है । अभी इस समय का अन्त नहीं होगा, ऐसा कवि का कहना है। कवी कहते है कि यह वसंत उनके जीवन में अभी-अभी तो आया है अर्थात् जीवन में उत्साह और जोश की भरपूर क्षमता है, अभी कुछ दिन ठहरेगा अभी इसका अन्त नहीं होगा। और कहते है कि अभी इस चीज़ का अंत नहीं होगा क्योंकि अभी-अभी तो जीवन में फूलों की भरमार आई है, वसंत ऋतु खिली है, जीवन में नया उत्साह नया जोश जागा है जिसकीसहायतासे युवा पीढ़ी को जागरूक करनेके संकल्प को पूरा करूँगा।

प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक वसंत भाग-3में संकलित कविता ‘ध्वनि’ सेहैंकविता के कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी निरालाजी हैं।इस कविता में कवि का जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण दिखाया गया है।कवि का यह मानना है कि हमें जीवन के प्रति आशावादी रहना चाहिए अपनी उम्मीद को नहीं छोड़ना चाहिए और पूरी सकारत्मक के साथ और पूरे जोश और उत्साह के साथ जीवन का आनन्द उठाना चाहिए।

व्याख्या– कविमानते हैं की उनका अंत अभी नहीं होगा, क्योंकि अभी-अभी कवि के जीवन के अमृत रूपी वन में वसंत रूपी यौवन आया है। अतः अभी उनका अंत नहीं होगा।कवि मानते हैं कि उनका अंत अभी नहीं होगा, क्योंकि वह आशावादी है जैसा कि हमने जाना और इस गुण की वजह से वह यह मानते हैं की अभी उनका अंत नहीं होगा जब तक वे अपने उद्देश्य की पूर्ती नहीं कर लेते। क्योंकि अभी कवि के जीवन में अमृत रूपी वन में वसंत रूपी यौवन आया है। अर्थात् एक नये उत्साह और जोश का आगामन हुआ है उनके जीवन में, फिर से वसंत ऋतु में चारों तरफ फूलों की भरमार और उनकी खुशबु फैली है जोकि बहुत ही सुन्दर लगती है। अतः अभी उनका अंत नहीं होगा। यही कारण है जैसा कि अभी उत्साह जोश की अधिकता है तो अभी यह कुछ दिन ठहरेगा और इसका अंत अभी नहीं होगा।

2. हरे-हरे ये पात,

डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात।

मैं ही अपना स्वप्न – मृदुल-कर

फेरूँगा निद्रित कलियों पर

जगा एक प्रत्यूष मनोहर।

जैसा कि वसंत ऋतु आई है प्रकृति में, और पेड़ पौधों पर हरे-हरे पत्तों पर और नए-नए फूलों की भरमार है। सभी पेड़ों पौधों की

Answered by bhupendrabisht65
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  • kabhi apni Kavita ke madhyam se yuva pidhi ko aalasya se jagana chaye hai
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