class 8th chapter 7th hindi summary in english
Answers
Answer:
come from India. He added that he was on a wheel chair. He mentioned that he wanted to write a book about his travels in Britain. Then he expressed his desire to see Stephen Hawking. The time for his meeting the Professor was fixed. It was from three-thirty to four. The interview began on time. The writer felt that the disabled got fed up with people asking them to be brave. They got stronger on seeing somebody like them, achieving something huge.
The computer voice replied that Professor Stephen Hawking hadn’t ever been brave. He had no choice in it.
Don’t Patronise
The writer told him that most people think that the disabled people are chronically unhappy. He asked Hawking if he found this amusing. The voice replied that he found it amusing when people patronised him. The writer’s next question was about himself. He asked whether he felt annoyed when people like him disturbed him. The answer flashed ‘yes’. Hawking smiled after giving this answer. Prof. Hawking appeared to the writer as one of the most beautiful men in the world. However, the writer was shaken by his first glimpse. He seemed only a skeleton then.
An Inspiration
The writer asked Hawking’s opinion about the best thing about being disabled. The reply was negative. The writer’s next question was if this didn’t help him discover great kindness in the world. The voice agreed fully with the writer. Like others, the writer also got highly inspired by the answers. This idea didn’t appeal or console Hawking. The question made the writer feel sorry. Others’ admiration of Hawking’s living could not console him. Then the writer asked him about his advice to the disabled people.
The Advice
The voice advised the disabled to concentrate on what they are good. They should try nothing beyond it. They must not be over-enthusiastic. Then the writer saw Hawking’s big garden. At last he wheeled out. The writer found his journey successful and inspiring.
A Visit to Cambridge Summary In Hindi
स्टीफन हॉकिंग
पहले लेखक के लिए इंग्लैंड केवल इसलिए महत्त्वपूर्ण था क्योंकि वहाँ कैंब्रिज था। अब वह, उसके लिए अधिक महत्त्व रखता था। एक दौरे के बीच वह वहाँ स्टीफन हॉकिंग से मिला था। स्टीफन हॉकिंग एक विकलांग व्यक्ति हैं। वे आईजॅक न्यूटन के उत्तराधिकारी हैं और उन्होंने विश्वविद्यालय में उन्हीं के नाम का पद ग्रहण किया है। वे एक माने हुए खगोल भौतिक विज्ञानी हैं। वे ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाईम’ के भी लेखक हैं। यह उस समय की सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तक है।
हॉकिंग से मुलाकात
दौरा समाप्त हो गया। लेखक ने स्टीफन हॉकिंग के घर टेलीफोन किया। हॉकिंग के सहायक ने टेलीफोन सुना। उसने सहायक से कहा कि वह भारत से आया है। उसने यह जोड़ा कि वह एक व्हील चेयर पर था। उसने बताया कि वह अपनी ब्रिटेन यात्रा पर एक पुस्तक लिखना चाहता था। फिर उसने स्टीफन हॉकिंग से मिलने की इच्छा जाहिर की। प्रोफेसर से मिलने का उसका समय निश्चित हो गया। वह साढ़े तीन से चार बजे तक का था। साक्षात्कार ठीक समय प्रारंभ हुआ। लेखक ने महसूस किया कि विकलांग लोग, उन व्यक्तियों से ऊब जाते हैं जो उन्हें बहादुर बनने के लिए कहते हैं। वे उस समय अधिक बलशाली बन जाते हैं जब वे अपने जैसे किसी विकलांग व्यक्ति को कोई महान उपलब्धि करते देखते हैं।
कम्प्यूटर की आवाज़ ने उत्तर दिया कि प्रोफेसर स्टीफन हॉकिंग कभी भी बहादुर नहीं रहा। इसमें उनके पास कोई विकल्प न था।
संरक्षक मत बनो
लेखक ने उससे कहा कि बहुत से लोग यह सोचते हैं कि विकलांग लोग, सदा दुखी रहते हैं। उसने हॉकिंग से पूछा कि क्या इस विचार पर उन्हें हँसी आती है। आवाज़ ने उत्तर दिया कि उसे बड़ा हास्यास्पद लगता है जब लोग उसे संरक्षण देते हैं। लेखक का अगला प्रश्न अपने बारे में था। उसने पूछा कि क्या उसे उस समय चिढ़ होती है जब लेखक जैसा कोई व्यक्ति उसके काम में विघ्न डालता है। उत्तर मिला, ‘हाँ’। यह उत्तर देने के बाद हॉकिंग मुस्कराया। लेखक को, प्रोफेसर हॉकिंग, संसार भर के सर्वाधिक सुन्दर व्यक्तियों में से एक लगा। फिर भी, उसकी पहली झलक देखकर लेखक को आघात पहुँचा। उस समय वह केवल अस्थि-पंजर लग रहा था।
प्रेरणा
लेखक ने विकलांग होने में सबसे अच्छी बात क्या है, इस बारे में हॉकिंग की राय पूछी। उसका उत्तर नकारात्मक था। लेखक का अगला प्रश्न था कि क्या इस कारण से उसे संसार में अत्यधिक दयालुता नजर नहीं आती है। आवाज़ लेखक के साथ पूर्णरूप से सहमत हो गई। अन्य व्यक्तियों की भाँति, लेखक ने भी, उत्तरों से काफी प्रेरणा ली। यह विचार हॉकिंग को न ही अच्छा लगा और न ही उसे सांत्वना मिली। इस प्रश्न को पूछने पर लेखक को अफसोस हुआ। दूसरे व्यक्तियों के द्वारा हॉकिंग के जीवित रहने की सराहना किए जाने से उसे कोई सांत्वना नहीं मिली। फिर लेखक ने उससे पूछा कि विकलांग व्यक्तियों के लिए उसकी क्या नसीहत है।
सलाह
आवाज़ ने विकलांगों को नसीहत दी कि वे केवल उसी बात पर ध्यान केन्द्रित करें जिसमें वे अच्छे हों, उससे परे नहीं। उन्हें आवश्यकता से अधिक उत्साही नहीं होना चाहिए। तत्पश्चात् लेखक ने हॉकिंग का बड़ा बाग देखा। अंततः वह व्हील-चेयर पर बैठकर बाहर निकल आया। लेखक ने अपनी यात्रा को सफल तथा प्रेरणादायक पाया।