class 8th sanskrit chapter 8 translation in hindi the name of the chapter is " संसारसागरस्य नायकः
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“संसारसागरस्य नायका:”
कौन थे वे बिना नाम के?
सैकड़ों हजारों तालाब अचानक ही शून्य से प्रकट नहीं हुए। यह तालाब ही यहां संसार के सागर हैं। इन के आयोजन के लिए परदे के पीछे बनवाने वालों की इकाई, और बनाने वालों की दहाई थी। यह इकाई और दहाई मिलकर के सैकड़ों अथवा हजारों बनाते थे। परंतु बीते 200 वर्षों में नई पद्धति के द्वारा समाज के द्वारा जो कुछ पढ़ा गया। उस पड़े हुए समाज के द्वारा इकाई दहाई और हजारों यह सब शून्य में ही परिवर्तित कर दिए। इस नए समाज के मन में यह भी इच्छा न ही उत्पन्न हुई कि हम से पहले इस प्रकार के तालाबों को कौन बनाते थे।
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