Hindi, asked by dhruvcgs, 3 months ago

Class 9 hindi B dharm ki aad summary ​VERY SHORT SUMMARY

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Answered by manojjj1328
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Answer:

प्रस्तुत पाठ ‘धर्म की आड़’ में लेखक ने उन लोगों के इरादों और कुटिल चालों को बेनकाब किया है, जो धर्म की आड़ लेकर जनसामान्य को आपस में लड़ाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करने की फिराक में रहते हैं। धर्म की आड़ में अपना स्वार्थ सिद्ध करने वाले हमारे ही देश में हों, ऐसा नहीं है। लेखक ने इस पाठ में दूर देशों में भी धर्म की आड़ में कैसे-कैसे कुकर्म हुए हैं, कैसी-कैसी अनीतियाँ हुई हैं, कौन-कौन लोग, वर्ग और समाज उनके शिकार हुए हैं, इसका खुलासा करते चलते हैं।

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Answered by ayushi1618
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Answer:

प्रस्तुत पाठ ‘धर्म की आड़’ में लेखक ‘गणेश शंकर विद्‍यार्थी जी’ ने उन लोगों के इरादों और कुटिल चालों को बेनकाब किया है जो धर्म की आड़ लेकर जनसामान्य को आपस में लड़ाकर अपना उल्लू सीधा करते हैं। उन्होंने बताया है की कुछ चालाक व्यक्ति आम आदमी को अपने स्वार्थ हेतु धर्म के नाम पर लड़ाते रहते हैं। लेखक का कहना है कि धर्म और ईमान के नाम पर वैसे लोग ही प्राण तक गँवा देने पर उतारू रहते हैं, जिन्हें धर्म आरै इर्मान के विषय में कुछ भी ज्ञात नहीं है।

लेखक ने भारत ही नहीं, विदेशों में भी इस प्रकार की धूर्तता का पर्दाफाश किया है। पाश्चत्य देशों में धन के द्वारा लोगों को वश में किया जाता है, मनमुताबिक काम करवाया जाता है। हमारे देश में बुद्धि पर परदा डालकर कुटिल लोग ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए ले लेते हैं और फिर धर्म, ईमान के नाम पर लोगों को आपस में भिड़ाते रहते हैं और अपना व्यापार चलते रहते हैं। इस भीषण व्यापार को रोकने के लिए हमें साहस और दृढ़ता के साथ उद्योग करना चाहिए। यदि किसी धर्म के मनाने वाले जबरदस्ती किसी के धर्म में टाँग अड़ाते हैं तो यह कार्य स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाए।

देश की स्वाधीनता आंदोलन में जिस दिन खिलाफत, मुल्ला तथा धर्माचार्यों को स्थान दिया गया वह दिन सबसे बुरा था जिसके पाप का फल हमें आज भी भोगना पड़ रहा है। लेखक के अनुसार शंख बजाना, नाक दबाना और नमाज पढ़ना धर्म नही है। शुद्धाचरण और सदाचरण धर्म के चिन्ह हैं। आप ईश्वर को रिश्वत दे देने के बाद दिन भर बेईमानी करने के लिए स्वतंत्र नही हैं। ऐसे धर्म को कभी माफ़ नही किया जा सकता। इनसे अच्छे वे लोग हैं जो नास्तिक हैं

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