class11hindi book aaroh ch2 nassiruddin dwara karigaro ko mazduri kis rup me di jaati thi
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नसीरुद्दीन द्वारा कारीगरों को मजदूरी किस रूप में दी जाती थी:
मियाँ नसीरुद्दीन द्वारा मजदूरों को मजदूरी के रूप में एक मन आटे की रोटियां बनाने की मजदूरी दो रुपये देते थे तथा एक मन मैदे की रोटियां बनाने की मजबूरी चार रुपये देते थे।
मियाँ नसीरुद्दीन पाठ में लेखिका कृष्णा सोबती ने मियाँ नसरुद्दीन के रोचक व्यक्तित्व और उनके स्वभाव के बारे में वर्णन किया है। इस पाठ के माध्यम से उन्होंने बताया है कि मियाँ नसीरुद्दीन को 56 तरह की रोटी पकाने की कला में महारत हासिल थी। तरह-तरह की रोटियां पकाना उनका पेशा था और वह इसे अपनी कला मानते थे। एक दिन लेखिका ते हुए दिल्ली की जामा मस्जिद के निकट मटिया महल इलाके के गढ़िया मुहल्ले में स्थित उनकी दुकान पर पहुंच जाती है। वहां पर लेखिका को मालूम पड़ा कि मियां 56 तरह की रोटियां बनाने के लिए अपने इलाके में मशहूर हैं। तब लेखिका को उनके बारे में जानने की रुचि हुई और उसने मियाँ नसीरुद्दीन का रोचक इंटरव्यू ले डाला। लेखिका ने उनसे कई बातें पूछी और वह मियां नसीरुद्दीन की रोटी बनाने की कला और पेशे के प्रति उनका समर्पण देखकर बहुत प्रभावित हुई।
Answer:
कृष्णा सोबती द्वारा लिखित "मियां नसीरुद्दीन" एक शब्द चित्र है | यह शब्द चित्र "हम हशमत" नामक संग्रह से लिया गया है जिसकी लेखिका 'कृष्णा सोबती' है |
इसके अंतर्गत लेखिका द्वारा मियां नसीरुद्दीन के स्वभाव, रूचि और व्यक्तित्व का चित्र खींचा गया है | मियां नसीरुद्दीन एक नानबाई है जिन्हें विविध प्रकार की रोटियां बनाने में महारत हासिल है | ये हुनर उन्हें विरासत में मिला है | वे इस पेशे को कला भी मानते है | वे कारीगरों को मजदूरी उचित वेतन के रूप में देते थे | वे दो रूपये मन, आटे की और चार रूपये मन, मैदे की मजदूरी देते थे |