Class8 chapter 7 of honeydew book hindi summary
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A visit to the cambridge
Iss chapter main jo lekhak/writer hain woh disabled hain. Woh khud nahi chal pate aur wheel chair ki madad se chalte hain. Woh ek baar England ke Cambridge naamki jagh par gaye the toh unke tourist guid ne unhe wahaan ke mashoor vaigyanic Stephen Hawking se milne ke liye suggest kiya and woh unse milne gaye. Writer bhi disabled the and scientist bhi.writer unse milne jaane ke waqt nervous the and happy bhi. Writer ne unko bahatsare sawal puche aur unhone jawab diya par har sawal ka jawab dene main unko kaafi samaya lagta tha kyun ki woh apni disability ki wajah se khud bool nahi sakte aur jawab dene ke liye unko computer ka sahara lena padta tha. Writer nmko iss baatchit ke dauran aisa lagta tha ki woh duniya ke sabse khoobsoorat insanoo mainse ek ke saaath baat kar rahe ho
Visit to Cambridge Summary In Hindi
स्टीफन हॉकिंग
पहले लेखक के लिए इंग्लैंड केवल इसलिए महत्त्वपूर्ण था क्योंकि वहाँ कैंब्रिज था। अब वह, उसके लिए अधिक महत्त्व रखता था। एक दौरे के बीच वह वहाँ स्टीफन हॉकिंग से मिला था। स्टीफन हॉकिंग एक विकलांग व्यक्ति हैं। वे आईजॅक न्यूटन के उत्तराधिकारी हैं और उन्होंने विश्वविद्यालय में उन्हीं के नाम का पद ग्रहण किया है। वे एक माने हुए खगोल भौतिक विज्ञानी हैं। वे ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाईम’ के भी लेखक हैं। यह उस समय की सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तक है।
हॉकिंग से मुलाकात
दौरा समाप्त हो गया। लेखक ने स्टीफन हॉकिंग के घर टेलीफोन किया। हॉकिंग के सहायक ने टेलीफोन सुना। उसने सहायक से कहा कि वह भारत से आया है। उसने यह जोड़ा कि वह एक व्हील चेयर पर था। उसने बताया कि वह अपनी ब्रिटेन यात्रा पर एक पुस्तक लिखना चाहता था। फिर उसने स्टीफन हॉकिंग से मिलने की इच्छा जाहिर की। प्रोफेसर से मिलने का उसका समय निश्चित हो गया। वह साढ़े तीन से चार बजे तक का था। साक्षात्कार ठीक समय प्रारंभ हुआ। लेखक ने महसूस किया कि विकलांग लोग, उन व्यक्तियों से ऊब जाते हैं जो उन्हें बहादुर बनने के लिए कहते हैं। वे उस समय अधिक बलशाली बन जाते हैं जब वे अपने जैसे किसी विकलांग व्यक्ति को कोई महान उपलब्धि करते देखते हैं।
कम्प्यूटर की आवाज़ ने उत्तर दिया कि प्रोफेसर स्टीफन हॉकिंग कभी भी बहादुर नहीं रहा। इसमें उनके पास कोई विकल्प न था।
संरक्षक मत बनो
लेखक ने उससे कहा कि बहुत से लोग यह सोचते हैं कि विकलांग लोग, सदा दुखी रहते हैं। उसने हॉकिंग से पूछा कि क्या इस विचार पर उन्हें हँसी आती है। आवाज़ ने उत्तर दिया कि उसे बड़ा हास्यास्पद लगता है जब लोग उसे संरक्षण देते हैं। लेखक का अगला प्रश्न अपने बारे में था। उसने पूछा कि क्या उसे उस समय चिढ़ होती है जब लेखक जैसा कोई व्यक्ति उसके काम में विघ्न डालता है। उत्तर मिला, ‘हाँ’। यह उत्तर देने के बाद हॉकिंग मुस्कराया। लेखक को, प्रोफेसर हॉकिंग, संसार भर के सर्वाधिक सुन्दर व्यक्तियों में से एक लगा। फिर भी, उसकी पहली झलक देखकर लेखक को आघात पहुँचा। उस समय वह केवल अस्थि-पंजर लग रहा था।
प्रेरणा
लेखक ने विकलांग होने में सबसे अच्छी बात क्या है, इस बारे में हॉकिंग की राय पूछी। उसका उत्तर नकारात्मक था। लेखक का अगला प्रश्न था कि क्या इस कारण से उसे संसार में अत्यधिक दयालुता नजर नहीं आती है। आवाज़ लेखक के साथ पूर्णरूप से सहमत हो गई। अन्य व्यक्तियों की भाँति, लेखक ने भी, उत्तरों से काफी प्रेरणा ली। यह विचार हॉकिंग को न ही अच्छा लगा और न ही उसे सांत्वना मिली। इस प्रश्न को पूछने पर लेखक को अफसोस हुआ। दूसरे व्यक्तियों के द्वारा हॉकिंग के जीवित रहने की सराहना किए जाने से उसे कोई सांत्वना नहीं मिली। फिर लेखक ने उससे पूछा कि विकलांग व्यक्तियों के लिए उसकी क्या नसीहत है।
सलाह
आवाज़ ने विकलांगों को नसीहत दी कि वे केवल उसी बात पर ध्यान केन्द्रित करें जिसमें वे अच्छे हों, उससे परे नहीं। उन्हें आवश्यकता से अधिक उत्साही नहीं होना चाहिए। तत्पश्चात् लेखक ने हॉकिंग का बड़ा बाग देखा। अंततः वह व्हील-चेयर पर बैठकर बाहर निकल आया। लेखक ने अपनी यात्रा को सफल तथा प्रेरणादायक पाया।