Clean water clean India in Hindi 1500 words
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फिल्म "हाथ मुंह और बम" का उद्देश्य सुरक्षित पीने के पानी के बारे में जागरूकता पैदा करना और सुरक्षित पीने के पानी की आदतें अपनाने की आवश्यकता है। सब के बाद, सुरक्षित पेयजल अभ्यास एक स्वच्छ आदत है।
भारत नदियों का देश होने के बावजूद यहां की ज्यादातर नदियों का पानी पीने लायक और कई जगह नहाने लायक तक नहीं है। खेती पर निर्भर इस देश में किसान सिंचाई के लिए मनमाने तरीके से भूगर्भीय पानी का दोहन करते हैं। इससे जलस्तर तेजी से घट रहा है। कुछ ऐसी ही हालत शहरों में भी है जहां तेजी से बढ़ते कंक्रीट के जंगल जमीन के भीतर स्थित पानी के भंडार पर दबाव बढ़ा रहे हैं। अब समय आ गया है हमें पानी के दुरूपयोग को रोकने के लिये संकल्पित होना होगा व देश की सरकार को भी भोजन के अधिकार की तरह ही पीने का साफ पानी भी देश के हर नागरिक तक उपलब्ध करवाना होगा तभी देश की जनता बीमारियों से बच पायेगी।
भारत में लगभग 7.6 करोड़ लोगों को पीने का साफ पानी मयस्सर नहीं होता। लेकिन यह आंकड़ा महज शहरी आबादी का है। ग्रामीण इलाकों की बात करें तो वहां 70 फीसदी लोग अब भी प्रदूषित पानी पीने को ही मजबूर हैं। पानी की इस लगातार गंभीर होती समस्या की मुख्य रूप से तीन वजहें हैं। पहला है आबादी का लगातार बढ़ता दबाव। इससे प्रति व्यक्ति साफ पानी की उपलब्धता घट रही है।
जिस तरह से हम जल का अपव्यय कर रहें है इससे भविष्य में एक बड़ा जल संकट आने वाला है। कुछ जगह पर तो आज ही यह एक बड़ी समस्या बन गया है| गांव में महिलांए मीलों दूरसे पानी लेके आती है, शहरों में बोतल का पानी मंगाना पड़ता है| अगर हम अभी से इस पर काम करना चालू नहीं करते तो, हमारी तीसरी पीढ़ी जल के लिए एक दूसरे की जान लेने पे उतर आयेंगी| हम मनुष्योंने इस समस्या को बनाया है और हम इसे हल भी कर सकते हैं। हमें जल संरक्षण को बढ़ावा देने की आवश्यकता है और हमें पानी को प्रदूषित होने से रोकना चाहिए। हमें सामूहिक और व्यक्तिगत रूप से आदतों, नियमों और नीतियों को प्राप्त करने की ज़रूरत है जो भविष्य में आने वाली जल संकट को हल करने में मदद करेंगे|
भारत नदियों का देश होने के बावजूद यहां की ज्यादातर नदियों का पानी पीने लायक और कई जगह नहाने लायक तक नहीं है। खेती पर निर्भर इस देश में किसान सिंचाई के लिए मनमाने तरीके से भूगर्भीय पानी का दोहन करते हैं। इससे जलस्तर तेजी से घट रहा है। कुछ ऐसी ही हालत शहरों में भी है जहां तेजी से बढ़ते कंक्रीट के जंगल जमीन के भीतर स्थित पानी के भंडार पर दबाव बढ़ा रहे हैं। अब समय आ गया है हमें पानी के दुरूपयोग को रोकने के लिये संकल्पित होना होगा व देश की सरकार को भी भोजन के अधिकार की तरह ही पीने का साफ पानी भी देश के हर नागरिक तक उपलब्ध करवाना होगा तभी देश की जनता बीमारियों से बच पायेगी।
भारत में लगभग 7.6 करोड़ लोगों को पीने का साफ पानी मयस्सर नहीं होता। लेकिन यह आंकड़ा महज शहरी आबादी का है। ग्रामीण इलाकों की बात करें तो वहां 70 फीसदी लोग अब भी प्रदूषित पानी पीने को ही मजबूर हैं। पानी की इस लगातार गंभीर होती समस्या की मुख्य रूप से तीन वजहें हैं। पहला है आबादी का लगातार बढ़ता दबाव। इससे प्रति व्यक्ति साफ पानी की उपलब्धता घट रही है।
जिस तरह से हम जल का अपव्यय कर रहें है इससे भविष्य में एक बड़ा जल संकट आने वाला है। कुछ जगह पर तो आज ही यह एक बड़ी समस्या बन गया है| गांव में महिलांए मीलों दूरसे पानी लेके आती है, शहरों में बोतल का पानी मंगाना पड़ता है| अगर हम अभी से इस पर काम करना चालू नहीं करते तो, हमारी तीसरी पीढ़ी जल के लिए एक दूसरे की जान लेने पे उतर आयेंगी| हम मनुष्योंने इस समस्या को बनाया है और हम इसे हल भी कर सकते हैं। हमें जल संरक्षण को बढ़ावा देने की आवश्यकता है और हमें पानी को प्रदूषित होने से रोकना चाहिए। हमें सामूहिक और व्यक्तिगत रूप से आदतों, नियमों और नीतियों को प्राप्त करने की ज़रूरत है जो भविष्य में आने वाली जल संकट को हल करने में मदद करेंगे|
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