collector Singh Kesari dwara Rachit Sita ka Charitra Uttar Sita ka Charitra ka chitran Karen
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कलेक्टर सिंह 'केसरी' (1909 - 18 सितंबर 1989), एक हिंदी कवि और साहित्यकार थे। उन्होंने अंग्रेजी में एमए किया। वे समस्तीपुर कॉलेज के संस्थापक थे, जिसके लिए उन्होंने 20 वर्षों तक प्रधान का पद संभाला। वह विश्वविद्यालय सेवा आयोग के सदस्य थे और फिर अध्यक्ष भी बने। उन्होंने दो बार 'विराट हिंदी साहित्य सम्मेलन' की अध्यक्षता की। वह राष्ट्रीय भाषा परिषद के निदेशक मंडल के सदस्य थे।
Explanation:
- सीता चरित्र काव्य परंपरा में 'उत्तर सीता चरित' का विशेष स्थान है। कविता में सीता के कई रूपों की चर्चा की गई है। इस कविता में सीता मातृपदा अभिमान का परित्याग करती हैं।
- उत्तर सीता चरित की सीता अत्यंत संवेदनशील हैं। पति श्री राम के परित्याग की पीड़ा उनके मन में समय-समय पर उभरती रहती है। वह अपने पति के परित्याग को अपने बचपन के पाप का प्रायश्चित मानती है, जब उसने एक शुक्की को शुक से अलग किया और उसे एक पिंजरे में बंद कर दिया। 'उत्तर सीता चरित' में सीता एक आदर्श पत्नी, पुत्री, शिष्या, दासी और स्वाभिमानी माता हैं।
- जब उसे महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में एक आश्रम मिलता है, तो वह बेटी, शिष्य और नौकर की भूमिका निभाती है। 'उत्तर सीता चरित' भी सीता को एक आदर्श धर्म पत्नी और प्रेमी के रूप में चित्रित करती है, जिसमें सहनशीलता की कोई कमी नहीं है। पति द्वारा वनवास की सजा सुनाए जाने के बाद भी उनके मन में कोई नाराजगी नहीं है और वह तुरंत उनके आदेश को मान लेती हैं। पति के प्रति उनका अटूट प्रेम और श्रद्धा उनके हृदय में अक्षुण्ण रहती है।
इस प्रकार यह उत्तर है।
#SPJ3
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