Hindi, asked by bhavsarlucky2, 10 months ago

compo on ek ful ki aatmakatha in Hindi ​

Answers

Answered by BhavikaNair
2

गुलाब के फूल पर आत्मकथा

मैं उद्यान में खिलने वाला एक पुष्प हूँ। सभी लोग मेरे रूप और रंग से परिचित हैं । मैं फूलों का राजा गुलाब हूँ । मेरा जन्म इसी उद्यान में हुआ ।

दो दिन पहले में इन कंटीली और कोमल डालियों पर अपने और अन्य भाई-बहनों की तरह झूल रहा था । कली के रूप में अपने आप को देखकर मन ही मन यह सोच रहा था कि कल मैं भी फूल बनूंगा । वह दिन भी आ गया और मैं एक पूर्ण विकसित अर्थात् खिला हुआ गुलाब बना ।

मेरी सुगन्ध से खिंची आ रही मधुमक्खियां मुझ पर मंडराने लगी । भंवरों को मैंने अपने परागकण दिए । ओस की बूंदों ने मुझे नहलाया, तेज हवाओं ने मेरा मुंह पोंछा और सूर्य की रोशनी में मैंने खेलना सीखा । बसन्त ऋतु में मेरी शोभा देखते ही बनती है । चारों तरफ गुलाब ही गुलाब खिल जाते हैं ।

इसके अतिरिक्त उद्यान में खिले हुए अन्य मेरे मित्र चम्पा, चमेली, जूही, गेंदा, सूरजमुखी, रात की रानी पर भी मौसम की बहार आ जाती है । हम सब एक साथ खिलते हुए उद्यान में भ्रमण के लिए आए बच्चे, बड़े और वृद्धों का ध्यान अपनी ओर खींच लेते हैं । यदि कोई मुझे तोड़े या छूने की चेष्टा करता है तो तेज कांटे मेरी रक्षा करते हैं ।

मैं केवल मधुमक्खियो को ही पराग नहीं देता अपितु इस प्रदूषित पर्यावरण को भी स्वच्छ रखता हूं । अपनी सुगन्ध से वातावरण को सुगन्धित और मोहक कर देता हूं । आज मुझे तोड़कर लोग मशीनों में डाल देते हैं, वहाँ मैं गुलाब जल ओर इत्र के रूप में बनकर तैयार होता हूँ और सौन्दर्य प्रसाधन में मेरा उपयोग होता है ।

मेरे फूलों का गुलकन्द भी बनाया जाता है । लेकिन मानव कितना कठोर और निर्दयी है वह मेरी कोमल पुकार को नहीं सुनना चाहता, मेरी करुणा-पुकार उस तक नहीं पहुँच पाती । सुमित्रा नन्दन पंत ने कहा है :

सुन्दर है सुमन (विहग सुन्दर) मानव तुम सबसे सुन्दरतम ।

अर्थात् फूल सुन्दर है और मानव को सुन्दरतम बताया गया है । सृष्टि का विवेकशील प्राणी है मानव । उपवनों की तख्ती पर लिखा होता है कि ”फूल तोड़ना मना है” लेकिन मानव इनकी उपेक्षा करते हैं । वे मुझे तोड़कर नेताओं के लिए माला बनाते हैं, ईश्वर की पूजा और नव वधुओं के केशों में सजाने के लिए तोड़ लेते हैं ।

इस पर भी मैं प्रसन्न हुआ और अपनी पीड़ा को भूल गया । पर यह क्या, मुझे मुरझाता देखकर इन्होंने मुझे उतार कर फैंक दिया । इतने में एक सफाई वाला आया और मुझे उठाकर कचरे के डब्बे में फेंक गया । इतने में मेरा ध्यान परिवर्तनशील सृष्टि की ओर गया ।

जो आया है वह जाएगा भी लेकिन मेरा अन्त इतना दु:खदायी होगा इस की मुझे आशा नहीं थी । श्रीमन्नारायण अपने शब्दों में दूसरे लोगों को समझाने पर मजबूर होकर कहने लगे:

फूल न तोड़ो, ऐ माली तुम भले, डाल पर मुग्झाएं । बना नहीं सकते जिनको हम तोड़ उन्हें क्यों मुस्काएं ।।

इसी मानव ने मुझे अपने हाथों से उगाया, मुझे जल, खाद इत्यादि दिया, मेरे खिलने पर प्रसन्न हुआ और मुरझाने पर मुझे उठाकर फैंक दिया । यही मेरी कहानी है ।


bhavsarlucky2: Tnxxx
Similar questions