Compose a self written poem on 75 years of independence
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From the dirty overthrown regime , our lost heroes had fulfilled our dreams , our life was like controlled puppet's and being maltreated and discriminated was just another theme , no it was an nightmare said by other men , who just wanted this rule to end . Now we are living peace without these heroes not witnessing their dreams , We still remember them as our heroes who fought for our country , and brought us peace , this is why we celebrate the day of independence in remembrance of these human beings.
Self Composed Poem on Independence Day :
आज़ाद हिंद की सरजमीं
पर तिरंगे की मुस्कान;
ए वतन, तेरी मुस्कान
के लिए सब क़ुर्बान
तेरे लिए एक बार फिर
फ़ना हो सकते हैं हम,
उन अश्क़ों के सागर में
फिर से डूब सकते हैं हैम,
ए मेरे मुल्क की मिट्टी,
एक बार मुस्कुरा दे फिर;
तुझसे ही हमारी शान है,
तुझपर सब क़ुर्बान है।
वादा है ये तुझसे
कि तुझे झुकने न देंगे कभी;
तरक़्क़ी के राह पर,
रुकने न देंगे कभी।
फ़ना होगये जो तेरे लिए,
उन शहीदों को मेरा सलाम है;
ए मेरे मुल्क की मिट्टी
तेरी मुस्कान ही हिन्द का मान है।
आज़ाद हिंद की सरजमीं
पर तिरंगे की मुस्कान;
ए वतन, तेरी मुस्कान
के लिए सब क़ुर्बान! ♡