compositon on पुस्तक का महत्व
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मनुष्य जीवन में हर किसी का अपना अलग महत्व होता है
प्राथमिक आवश्यकता के अलावा भी ऐसी अनेक अन्य आवश्यकताएं मानवी जीवन को सुखद बना देती है
मनुष्य अपने जीवन में शुरू से ही प्रगति कर चुका है अपने विकास के लिए पुस्तक को ज्ञान का स्रोत बना चुका है
पुस्तक जिसे हम सभी को ज्ञान प्राप्त होता है
प्राचीन समय में पुस्तकें आसानी से प्राप्त नहीं होती थी उस
समय पुस्तक की प्रिटिंग (Printing) करना आसान काम
नहीं था। उस वक्त ज्ञान का माध्यम केवल वाणी के द्वारा ही
किया जाता था। आज के आधुनिक युग में प्रिंटिंग का
आविष्कार होने से पुस्तकें आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।
हर विषय पर अब जानकारियां हर भाषा में पुस्तकों में
प्रकाशित होने लगी हैं।
पुस्तक का महत्व हम सभी जानते हैं क्योंकि पुस्तक ऐसा मित्र है जो कभी शिकायत नहीं करता
बिना किताबों के कमरा बिना आत्मा के शरीर के समान है.
_______पुस्तकों का महत्व_______
नमस्कार!
“पुस्तकें मित्रों में सबसे शांत व स्थिर हैं ,वे सलाहकारों में सबसे सुलभ एवं बुद्धिमान हैं और शिक्षकों में सबसे धैर्यवान है”- चार्ल्स विलियम इलियट की कही यह बात पुस्तकों की महत्ता को उजागर करती है।
निसंदेह पुस्तकें ज्ञानार्जन करने, मार्गदर्शन करने एवं परामर्श देने में विशेष भूमिका निभाती हैं जिससे कि मनुष्य के मानसिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, नैतिक, चारित्रिक, व्यवसायिक एवं राजनीतिक विकास में सहायक होता हैं । महात्मा गांधी ने कहा है “पुस्तकों का मूल्य रत्नों से भी अधिक है क्योंकि पुस्तके अंतःकरण को उज्जवल करती हैं ।पुस्तक पढ़ने से होने वाले लाभ को देखते हुए ,उन्होंने अन्यत्र कहा है “पुराने वस्त्र पहनो, पर नई पुस्तकें खरीदो” । सचमुच पुस्तकें आनंद का भंडार होती हैं । पुस्तकों का सबसे बड़ा लाभ यह है कि हम इससे जीवन में आने वाली कठिन परिस्थितियों का सामना कर पाते हैं। कठिन से कठिन परिस्थिति में भी पुस्तकें हमारा मार्गदर्शन करती हैं ।पुस्तके किसी भी देश की सभ्यता व संस्कृति के संरक्षण एवं प्रचार प्रसार में भी अहम भूमिका निभाती हैं इस प्रकार पुस्तक विज्ञान का संरक्षण करती है। पुस्तके विभिन्न विचारों को समाहित करती हैं जिसे भिन्न-भिन्न विचारों का अध्ययन किया जाना संभव हो पाता है। पुस्तकों का भारतीय स्वतंत्रता में भी काफी महत्व रहा है, जिसके माध्यम से लोगों को प्रेरित व उत्साहवर्धक बनाया गया। लोगों को विभिन्न संस्कृति के बारे में जानकारी प्राप्त हो सकी। इस प्रकार पुस्तकों के महत्व को देखते हुए डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने बताया है कि “पुस्तके वह साधन है जिनके माध्यम से विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं”।
पुस्तके वैसे मित्र होते हैं जो प्रत्येक स्थान और प्रत्येक काल में सहायक होते हैं। यही कारण है कि अनेक लोग गुरुवाणी हनुमान चालीसा आदि अपने पास रखते हैं।
आधुनिक समय में युवाओं में छोटी एवं पतली पुस्तकों को पढ़ने के प्रति रुचि बढ़ी है।इसके साथ ही इंटरनेट के बढ़ते बाजार की दिशा में युवक पुस्तकों को विभिन्न साइटों के माध्यम से भी पढ़ते हैं।इस प्रकार कहा जा सकता है कि पुस्तके ज्ञान देने के साथ, मार्गदर्शक व चरित्र निर्माण का सर्वोत्तम साधन है। इस गुणों से युक्त पुस्तकों के प्रचार प्रसार से राष्ट्र के युवा कर्णधारों को नई दिशा दी जा सकती है तथा एकता और अखंडता को स्थापित कर एक सबल राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है।