Comprehension Passage
L
"पापी ने मंदिर में घुसकर
किया अनर्थ बड़ा भारी;
कलुषित कर दी है मंदिर की
चिरकालिक शुचिता सारी ।"
ऐं, क्या मेरा कलुष बड़ा है
देवी की गरिमा से भी;
किसी बात में हूँ मैं आगे
माता की महिमा के भी?
सुखिया का पिता मंदिर में आया था-
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लोग कहते हैं कि इस पापी ने मंदिर में घुसकर इतने लंबे समय से बनी हुई मंदिर की पवित्रता को नष्ट कर दिया। इसके प्रवेश से मंदिर अपवित्र हो गया। मैंने मन में सोचा अरे! क्या मंदिर में आने का मेरा पाप भगवती से भी बड़ा है। क्या मैं किसी बात में देवी के महत्त्व से भी बढ़कर हूं। मेरे द्वारा मंदिर अपवित्र हो गया है।
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