Computer ek vardan ya Abhishaap in points
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कम्प्यूटर का आविर्भाव इस युग की एक क्रान्तिकारी घटना रही है, जिसने मानवीय जीवन की कार्यक्षमता में अप्रत्याशित वृद्धि कर मानवीय सहायता को एक नई दिशा दी। पहले जो कार्य घण्टों एवं दिनों में होते थे वे इसके रहते आज मिनटों में होने लगे हैं। इसके बहुआयामी उपयोग के कारण आज कम्प्यूटर मनुष्य का एक अभिन्न सहयोगी के रूप में उभरकर सामने आया है। इसके बिना जीवन की कल्पना मात्र दूभर है। भारत में हालाँकि इसका प्रवेश अधिक पुराना नहीं है, किन्तु तीव्रता से इसमें वृद्धि हो रही है। इस समय लगभग तीन लाख लोग इसका पेशे के बतौर उपयोग कर रहे हैं। जबकि पश्चिम के विकसित देशों में तो यह तादाद भारी-भरकम है। अकेले अमेरिका में लगभग पाँच करोड़ लोग कम्प्यूटर व्यवसाय के रूप में उपयोग कर रहे हैं।
जिस कम्प्यूटर का आविर्भाव मनुष्य के अभिन्न सहयोगी सहचर के रूप में हुआ, अपनी बहुआयामीय उपयोगिता के कारण जो मनुष्य के लिए एक वरदान के रूप में प्रकट हुआ, वही आज अपने घातक दुष्परिणामों के कारण अभिशाप भी सिद्ध हो रहा है। कम्प्यूटर के अत्यधिक उपयोग के कारण उत्पन्न हो रही नाना प्रकार के भयंकर रोग इसकी सूचना दे रहे हैं। अकेले अमेरिका में इसने हजारों लोगों का जीवन पंगु बना दिया है और अधिकाँश लोगों को अपने व्यवसाय एवं नौकरियाँ छोड़ने के लिए विवश कर दिया है। चिकित्सा विज्ञान ने इन रोगों को ‘कम्प्यूटर रिलेटेड डिसिस’ अर्थात् कम्प्यूटर संबन्धित रोग कहा है। कम्प्यूटर के अत्यधिक उपयोग से होने वाले इन रोगों में ‘रोटेटर कफइंज्यूरस’ अर्थात् कन्धों के जकड़ जाने से होने वाला असह्य दर्द, ‘एपिको इलाइटीस’-टेण्डन घिसने से कोहनी एवं बगल के स्नायु में पीड़ा एवं सूजन आना, ‘टेनोसाइनोवाइटीस’ हथेली की माँसपेशियों में सूजन वाली कोशिकाओं पर अधिक दबाव से स्नायुओं का निष्क्रिय बनना और ‘टेंडिनाइटिस’-टेण्डन में सूजन आने से हाथ के स्नायुओं में जलन व दर्द मुख्य हैं। इन रोगों के प्रमुख शिकार चार्टर्ड एकाउन्टेंट, मैनेजमेंट कंसल्टैंट, शेयर दलाल, वकील एवं पत्रकार हुए हैं, जो पूरा दिन कम्प्यूटर की-बोर्ड पर काम करते और स्क्रीन पर नजरें गड़ाये रहते हैं।
कम्प्यूटर से उत्पन्न रोगों की इसी शृंखला में एक घातक रोग है ‘रिपिटेटीव स्ट्रेस इंज्यूरस’(आरएसआई), जो व्यक्ति को अपंगता के अभिशाप से तक ग्रसित कर देता है। यह रोग मुख्यतः प्रतिदिन एक सा काम करने वाले लोगों को होता है, क्योंकि उनके कुछ निश्चित अंगों को अत्यधिक श्रम करना पड़ता है तथा लम्बे समय तक यह स्थिति बन रहने पर उपरोक्त रोग उन अंगों की अपंगता के रूप में प्रकट होता है।
पिछले दिनों अमेरिका की सुप्रतिष्ठित पत्रिका ‘रायटर’ के संपादक ग्राँट मेककुल कम्प्यूटर जनित इस रोग का शिकार हो गये और अब वह अपनी रिपोर्ट कम्प्यूटर पर कभी नहीं भेज सकेंगे। वह अब कार भी नहीं चला सकता, क्योंकि उसके पीड़ा ग्रस्त हाथों में स्टियरिंग व्हील पर सही नियंत्रण रखने की शक्ति नहीं रही। मेककुल को इस रोग का अहसास तब हुआ जब रोज घण्टों कम्प्यूटर की-बोर्ड का उपयोग करने के बाद उसके हाथों में ज्वर पस्त पीड़ा होने लगी। सुबह उठने के साथ ही उसके हाथों में जलन एवं जोड़ों में भयंकर दर्द होता। चिकित्सकों ने जाँच के बाद ‘मेककुल’ को कम्प्यूटर का उपयोग तत्काल रोक देने की सलाह दी। इस तरह आज में मेककुल उस रोग के कारण अपंग से स्थिति में है जो उंगली, हथेली, कलाई तथा कंधों में स्नायुओं तथा माँसपेशियों के अत्यधिक उपयोग से जन्म लेता है।