Hindi, asked by Aaryanarora19131, 1 year ago

Conclusion for hindi project on gst

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Answered by dimpy57
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अगस्त 2009 में 13वें वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री विजय केलकर की अध्यक्षता में वस्तु एवं सेवा कर पर विचार-विमर्श करने के लिए राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया| इस सभा में केलकर महोदय ने वस्तु एवं सेवा कर को लागू करने में केंद्र-राज्य के मध्य सहयोग एवं तालमेल को अनिवार्य शर्त बताया तथा केंद्र सरकार को राज्यों की इस मुद्दे पर उत्पन्न चिंताओं के प्रति संवेदनशील रवैया अपनाने की भी सलाह दी|

इस यात्रा की अगली कड़ी जुलाई, 2010 में उस समय जुड़ती है, जब तत्कालीन वित्त मंत्री ने वस्तु एवं सेवा कर संबंधी एकल दर प्रस्तावित करते हुए 3 वर्षीय योजना प्रस्तुत की| इसमें राज्यों हेतु क्षतिपूर्ति के प्रावधानों को भी शामिल करने की बात थी| मार्च, 2011 में सरकार ने वस्तु एवं सेवा कर संबंधी 115वां संशोधन विधेयक प्रस्तावित किया| इसके अंतर्गत केंद्र व राज्यों के मध्य बेहतर तालमेल कायम करने हेतु केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में वस्तु एवं सेवा कर परिषद के गठन का प्रावधान किया गया|



इस परिषद कर की दर, सीमा एवं कर घाटों के संबंध में निर्णय हेतु प्रतिबंध होगी| इसके साथ ही इस विधेयक में वस्तु एवं सेवा कर विवाद निपटारा अधिकरण का प्रावधान भी किया गया, जो इस संबंध में उत्पन्न विवादों के निपटारे हेतु कार्य करेगी | इसके अध्यक्ष सर्वोच्च या उच्च न्यायालय के न्यायाधीश होंगे परंतु राज्यों द्वारा इस संशोधन का व्यापक विरोध करते हुए कहा गया है कि यह संशोधन लागू होने से उनके राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा| साथ ही, यह उनकी वित्तीय स्वायत्तता को भी नकारात्मक रुप से प्रभावित करेगा| वस्तु एवं सेवा कर परिषद में केंद्रीय नेतृत्व के फैसले के अधिभावी होने पर भी राज्यों ने आपत्ति दर्ज किए की| परिणामस्वरुप यह विधेयक पारित ना हो सका|

वर्ष 2014 में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में बनी सरकार ने जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) संबंधी 122वां संशोधन विधेयक लोकसभा के शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत किया| इस विधेयक में पूर्व में राज्यों द्वारा उठाई जा रही आपत्तियों के शमन का गंभीर प्रयास किया गया| प्रस्तावित विधेयक में राज्यों को होने वाले संभावित नुकसान की क्षतिपूर्ति हेतु व्यापक प्रावधान करते हुए यह व्यवस्था की गई है कि वस्तु एवं सेवा कर लागू होने की दिशा में प्रत्येक राज्य को पहले 3 वर्ष तक  100% मुआवजा दिया जाएगा, जबकि चौथे वर्ष 75% एवं पाँचवे वर्ष 50% की राजस्व क्षतिपूर्ति प्रदान की जाएगी|
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