Conclusion of tamil naduu in hindi
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तमिलनाडु का इतिहास बहुत प्राचीन है। यह उन गिने चुने क्षेत्रों में से एक है जो प्रागैतिहासिक काल से अब तक लगातार बसे हुए है। अत्यारम्भ से यह तीन प्रसिद्ध राजवंशों की कर्मभूमि रही है - चेर, चोल तथा पांड्य। तमिल नाडु के प्राचीन संगम साहित्य में, यहाँ के तत्कालीन राजाओं, राजकुमारों तथा उनके प्रशन्शक कवियों का बारम्बार विवरण मिलता है। विद्वान तथा विशेषज्ञ एसा मानते हैं कि, यह संगम साहित्य इसोत्तर (इसा-पश्चात) की आरम्भिक कुछ सदियों का है। आरम्भिक चोल, पहली सदी से लेकर चौथी सदी तक सत्ता के मुख्य अधिपति रहे। इनमें सर्वप्रमुख नाम करिकाल चोल (तमिल - கரிகால சோல (तमिल हिज्जे की शुद्धता अपूर्ण हो सकती है)) है, जिसने अपने साम्राज्य को कांचीपुरम् तक पहुँचाया। चोलों ने वर्तमान तञ्जावुर तथा तिरुचिरापल्ली तक अपना साम्राज्य विस्तृत किया तथा सैन्य कर्मों में महारत प्राप्त की। अपने यौवन काल में चोलों ने दक्षिण में श्रीलंका तथा उत्तर में कई सौ कि॰मी॰ तक अपना प्रभुत्व स्थापित किया। तीसरी सदी तक कालभ्रों के आक्रमण से चोलों का पतन आरम्भ हो गया। कालभ्रों को छठी सदी तक, उत्तर में पल्लवों तथा दक्षिण में पांड्यों ने हराकर बाहर कर दिया।
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