conservation on dussehra in hindi
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माँ दुर्गा शक्ति की अधिष्ठात्री देवी हैं । जीवन में शक्ति का बहुत महत्त्व है, इसलिए भक्तगण माँ दुर्गा से शक्ति की याचना करते हैं । पं.बंगाल, बिहार, झारखंड आदि प्रांतों में महिषासुर मर्दिनी माँ दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है । नौ दिनों तक दुर्गासप्तशती का पाठ चलता रहता है । शंख, घड़ियाल और नगाड़े बजते हैं । पूजा-स्थलों में धूम मची रहती है । तोरणद्वार सजाए जाते हैं । नवरात्र में व्रत एवं उपवास रखे जाते हैं । मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है । प्रसाद बाँटने और लंगर चलाने के कार्यक्रम होते हैं ।
उत्तर भारत के विभिन्न प्रांतों में रामलीला का मंचन होता है । कहा जाता है कि विजयादशमी के दिन भगवान राम ने लंका नरेश अहंकारी रावण का वध किया था । रावण अत्याचारी और घमंडी राजा था । उसने राम की पत्नी सीता का छल से अपहरण कर लिया था । सीता को रावण के चंगुल से मुक्त कराने के लिए राम ने वानरराज सुग्रीव से मैत्री की । वे वानरी सेना के साथ समुद्र पार करके लंका गए और रावण पर चढाई कर दी । भयंकर युद्ध हुआ । इस युद्ध में मेघनाद, कुंभकर्ण, रावण आदि सभी वीर योद्धा मारे गए । राम ने अपने शरण आए रावण के भाई विभीषण को लंका का राजा बना दिया और पत्नी सीता को लेकर अयोध्या की ओर प्रस्थान किया । रामलीला में इन घटनाओं का विस्तृत दृश्य दिखाया जाता है । इसके द्वारा श्रीराम का मर्यादा पुरुषोत्तम रूप उजागर होता है ।
दशहरा हिन्दुओं का बहुत महत्वपूर्ण और मायने रखने वाला त्यौहार है। इस पर्व का महत्व पारंपरिक और धार्मिक रुप से बहुत ज्यादा है। भारतीय लोग इसे बहुत उत्साह और भरोसे से मनाते है।
ये पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत को भी प्रदर्शित करता है अर्थात् पाप पर पुण्य की जीत। लोग इसे कई सारे रीति-रिवाज और पूजा-पाठ के द्वारा मनाते है। धार्मिक लोग और भक्तगढ़ पूरे दिन व्रत रखते है। कुछ लोग इसमें पहले और आखिरी दिन व्रत रखते है तो कुछ देवी दुर्गा का आशीर्वाद और शक्ति पाने के लिये इसमें पूरे नौ दिन तक व्रत रखते है। दसवें दिन लोग असुर राजा रावण पर राम की जीत के उपलक्ष्य में दशहरा मनाते है। दशहरा का पर्व हर साल सितंबर और अक्तूबर के अंत में दीवाली के दो सप्ताह पहले आता है।
देश के कई बरसों में दशहरा को मनाने का रीति-रिवाज और परंपरा अलग-अलग है। कई जगहों पर पूरा दस दिन के लिए मनाया जाता है, मंदिर के पुजारियों द्वारा मंत्र और रामायण की कहानियां भक्तों की बड़ी भीड़ के सामने सुनाई जाती है साथ ही कई जगहों पर रामलीला का आयोजन 7 दिन या मौसम तक किया जाता है। सारे शहर में रामलीला का आयोजन होता है। राम लीला पौराणिक महाकाव्य, रामायण का एक लोकप्रिय अधिनियम है। ऐसा माना जाता है कि महान संत तुलसीदास ने राम, राम की परंपरा शुरू की, जो भगवान राम की कहानी के अधिनियम था। उनके द्वारा लिखी गई रामचरितमानस आज तक रामलीला प्रदर्शन का आधार बनाती हैं। रामनगर राम लीला (वाराणसी में) सबसे पारंपरिक शैली में अधिनियमित किया गया है।
विजयदशमी मनाने के पीछे राम लीला का उत्सव पौराणिक कथाओं को इंगित करता है। ये सीता माता के अपहरण के पूरे इतिहास को बताता है, असुर राजा रावण, उसके पुत्र मेघनाथ और भाई कुम्भकर्ण की हार और अंत तथा राजा राम की जीत को दर्शाता है। वास्तविक लोग राम, लक्ष्मण और सीता तथा हनुमान का किरदार निभाते है वहीं रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण का पुतला बनाया जाता है। अंत में बुराई पर अच्छाई की जीत को दिखाने के लिये रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण के पुतले जला दिये जाते है और पटाखों के बीच इस उत्सव को और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
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