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और वह वहां से एक पेटी चोरी करके ले जा रहा था की तभी पैरो की आवाज से जागकर वह अतिथि उठ गया और चोर को देखकर चोर -चोर चिल्लाने लगा। चिल्लाने को आवाज सुनकर सभी ग्रामवासी वहां पहुंचे और उस अतिथि को चोर समझकर पीटने लगे। दुर्भाग्य से वह चोर उसी नगर का सिपाही था। इसलिए उसने उस अतिथि को चोर घोषित कर कारागार में बंद कर दिया। उस अतिथि को न्यायाधीश के सामने प्रस्तुत किया गया। न्यायधीश बंकिमचंद्र ने सारा विवरण सुना और सत्य जानते हुए भी वे कोई निर्णय न ले सके। शाक्षय के अभाव के कारण वे कुछ नही कर सकते थे। तब उन्होंने अपनी चतुर बुद्धि के बल से एक उपाय निकाला और एक जीवित साक्ष्य प्रस्तुत किया।उस मृत रूपी जीवित साक्ष्य ने सत्य सत्यापित किया। न्यायधीश ने उस बेईमान सिपाही को कारावास की सजा दी और उस अतिथि को सम्मान के साथ बरी किया गया।
इसीलिए कहते है की बुद्धि बल से असंभव कार्य भी संभव हो जाते है।
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और वह वहां से एक पेटी चोरी करके ले जा रहा था की तभी पैरो की आवाज से जागकर वह अतिथि उठ गया और चोर को देखकर चोर -चोर चिल्लाने लगा। चिल्लाने को आवाज सुनकर सभी ग्रामवासी वहां पहुंचे और उस अतिथि को चोर समझकर पीटने लगे। दुर्भाग्य से वह चोर उसी नगर का सिपाही था। इसलिए उसने उस अतिथि को चोर घोषित कर कारागार में बंद कर दिया। उस अतिथि को न्यायाधीश के सामने प्रस्तुत किया गया। न्यायधीश बंकिमचंद्र ने सारा विवरण सुना और सत्य जानते हुए भी वे कोई निर्णय न ले सके। शाक्षय के अभाव के कारण वे कुछ नही कर सकते थे। तब उन्होंने अपनी चतुर बुद्धि के बल से एक उपाय निकाला और एक जीवित साक्ष्य प्रस्तुत किया।उस मृत रूपी जीवित साक्ष्य ने सत्य सत्यापित किया। न्यायधीश ने उस बेईमान सिपाही को कारावास की सजा दी और उस अतिथि को सम्मान के साथ बरी किया गया।
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