Conversation with pakshi and pitha pakshi
Pakhi or dheemak chapter
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Explanation:
पीता : अरे,पूत्र तुम क्यों यहाँ बैठते हो?
पक्षी : मैं उस गाड़ीवाले का इंतज़ार करता हूँ ।
पिता:क्यों?
पक्षी : वह मुझे दीमके देता है ।
पिता: कैसे ?
पक्षी :मेरे पंख के बदले ।
पिता :बेटा दीमके हमारा स्वाभाविक भोजन नहीं ।
पक्षी:लेकिन वह स्वाद भरा खाना है ।
पिता: इस के लिय अपना पंख देना मूर्खता है ।
पक्षी: पिताजी,मेरी राय में इसमें कोई हर्ज़ नहीं ।
पिता :क्यों
पक्षी :खाने के लिए हवा में उड़न मूर्खता है
पिता : तुम मेरी बात मानो। मेरे साथ उड़कर आओ ।
पक्षी: नहीं । मैं उसकी प्रतिक्षा में हूँ
पिता: ज़रा सोचो,बेटा ।
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