corona effect se Ham logon ko kaise likhate hain
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Answer:
corona?
Explanation:
चीन के वुहान से शुरू हुए कोरोना वायरस का संक्रमण दुनिया भर में बढ़ता जा रहा है। हर दिन कोरोना संक्रमण के नए मामले सामने आ रहे हैं। भारत में अबतक कोरोना संक्रमण स्टेज-2 में है और इसे स्टेज-3 से रोकने के लिए एक तरफ केंद्र और राज्य सरकारें बड़े कदम उठा रही है, वहीं दूसरी ओर इसके इलाज की दवा और वैक्सीन तैयार करने में वैज्ञानिक लगे हुए हैं। इस बीच लोगों में एक तरह के भय का माहौल भी है। कोरोना वायरस के लक्षण सर्दी-बुखार और सीजनल फ्लू से थोड़े बहुत मिलने के कारण लोग संशय(कन्फ्यूजन) में हैं। आपका संशय दूर करने के लिए यहां हम आपको बता रहे हैं कि पहले दिन से 15वें दिन तक कोरोना वायरस शरीर को कैसे प्रभावित करता है और मरीजों में कैसे लक्षण दिखते हैं:
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कोरोना वायरस2 of 8
कोरोना वायरस - फोटो : सोशल मीडिया
चीन के वुहान शहर में कोरोना वायरस से संक्रमित 191 मरीजों के इलाज में हो रही प्रोग्रेस के विश्लेषण के आधार पर मेडिकल रिसर्च जर्नल लैंसेट में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वायरस (covid 19) गले के पीछे से पहले फेफड़ों में जाता है और फिर ब्लड में प्रवेश कर जाता है। बुधवार को प्रकाशित इस रिपोर्ट में बताया गया है कि एक से 14 दिन के अंदर मरीज में इसके संक्रमण के लक्षण दिख जाते हैं, जबकि कुछ मामलों में यह अवधि 27 दिन तक भी होती है। आइए, आगे हम जानते हैं कोरोना वायरस का आपके शरीर पर कैसे पड़ता है असर:
प्रतीकात्मक तस्वीर3 of 8
प्रतीकात्मक तस्वीर - फोटो : Pixabay
1-3 दिन: लक्षणों की शुरुआत
सांस संबंधी लक्षणों के साथ शुरू हो सकता है
पहले दिन हल्का बुखार जैसा फील होता है
तीसरे दिन तक कफ और गले में खराश
कोरोना के 80 फीसदी मरीजों में ऐसे लक्षण दिखे।
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कोरोना वायरस से प्रभावित फेफड़े की 3D तस्वीर - फोटो : Sky News
4-9 दिन: फेफड़ों में असर
3 से 4 दिन में वायरस फेफड़ों तक पहुंच जाता है
चौथें से नौवें दिन के बीच सांस लेने में दिक्कत बढ़ जाती है
फेफड़ों की थैली या एल्वियोली में सूजन शुरू हो जाता है
फेफड़ों की थैली में तरल पदार्थ भर जाता है और मवाद निकलने लगता है
इस कारण सांस की दिक्कत और ज्यादा हो जाती है।
संक्रमित मरीजों में से 14 फीसदी में ये गंभीर लक्षण दिखे।
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blood circulation
8-15 दिन: रक्त संक्रमण
फेफड़ों से होकर संक्रमण हमारे ब्लड में पहुंच जाता है
एक हफ्ता बीतने के साथ ही सेप्सिस जैसी घातक बीमारी भी हो सकती है
संक्रमित पांच फीसदी ऐसे मरीजों को आईसीयू में रखना जरूरी हो जाता है
सेप्सिस, ब्लड में बैक्टीरिया संक्रमण से फैलने वाली बीमारी है, जिसमें सूजन, खून के थक्के बनने और ब्लड वेसेल्स यानी रक्त वाहिकाओं से रिसाव होने लगता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन खराब हो जाता है और शरीर के अंगों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाता और वे धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते है।
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देश में कोरोना वायरस का पहला पॉजिटिव मामला केरल में मिला (फाइल फोटो) - फोटो : PTI
अब सवाल यह भी है कि आखिर कोरोना की वजह से लोगों की मौतें कैसे हो रही हैं। द लैंसेट जर्नल में प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक मरीजों की मौत के पीछे खून में ऑक्सीजन की कमी होने से सांसों का बंद होना और हार्ट अटैक एक सामान्य वजह रही। 191 मरीजों पर शोध करने पर पाया गया कि इन मरीजों के संक्रमण और अस्पताल के छुट्टी के बीच औसत समय 22 दिन है। वहीं, इलाज के दौरान 18.5 दिनों में मत्यु हुई।
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कोरोना वायरस से बचाव के लिए मास्क पहने हुए लोग(File photo) - फोटो : PTI
191 में से जिन 32 मरीजों को वेंटीलेटर की आवश्यकता हुई, उनमें से 31 की मौत हो गई। वेंटीलेटर पर रखे मरीजों के मरने का औसत समय मात्र 14.5 दिन रहा। तीन मरीजों को फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने के बाद उसे ब्लड में मिलाने के लिए भी मेडिकल सहायता देनी पड़ी, लेकिन इसके बावजूद इनमें से एक भी जिंदा नहीं बचे।
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वुहान अस्पताल में इलाज कराते लोग(File photo) - फोटो : PTI
रिसर्च टीम को लीड कर रहे कैपिटल मेडिकल यूनिवर्सिटी चीन के विशेषज्ञ बिन काओ के मुताबिक अस्पताल से मरीज की छुट्टी के समय कोरोना वायरस की रिपोर्ट नेगेटिव होनी चाहिए। वह कहते हैं कि वायरस की संक्रमण अवधि में मरीज को एकांत में रखना चााहिए ऐसा नहीं करने पर उसकी मौत हो सकती है।
यह भी पढ़ें: कोरोनावायरस से लड़ने में कितनी कारगर है एचआईवी की दवा?
Answer:
what you mean by can u repeat the question post
what you mean by likhate hain is not correct sentence
xd....
Explanation:
????