Corona impact on samaj In hindi
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सन् दो हजार बीस सदी का सबसे खराब बरस है। सन् बीस के पहले आई सभी आपदा अकाल और महामारी प्लेग और हैजा कुछ भी हो, इनसे बचने के उपाय इंसान के पास थे। हथगोले बम और बारुद भी इंसान को पूरी तरह से मृत्यु के करीब नहीं लगते थे। भूकंप और बाढ़़ भी मनुष्य के मन को आहत नहीं कर पाए, परंतु सन् 2020 ने मनुष्य के मन और मस्तिष्क पर बहुत ही गहरा असर डाला है।
बदलाव हमेशा दो तरफा ही होता है एक नकारात्मक और दूसरा सकारात्मक। नकारात्मक बदलाव मनुष्य को संकीर्ण, अनुदार और स्वार्थी और क्रूर बनाता है, जबकि सकारात्मक बदलाव करुणा को जन्म देने वाला उदार और परोपकारी, सेवा भावी मनुष्य के लिए जमीन तैयार करता है। इस समय एक साथ नकारात्मक और सकारात्मक बदलाव में दिख रहें हैं।
एक ओर मृत्यु का भय मनुष्य को स्वार्थी और अनुदार बना रहा है तो दूसरी ओर जीवन की ललक उसे सेवाभावी बना रही है। आज सामान्य चलते जीवन के समक्ष यकायक मृत्यु आ खड़ी हुई है। जीवन के स्वप्न और कल्पना को मृत्यु ने दबोच लिया है।
यूं तो जीवन के साथ ही साथ मृत्यु भी जुड़ी है। यह अवश्यंभावी होते हुए भी निकट नहीं महसूस होती पर आज हम अवश्य मृत्यु को निकट पा रहें हैं। आज मृत्यु कल्पना नहीं, भय बनकर हमारे मन मस्तिष्क पर छा चुकी है। मृत्यु की भयावह कल्पना से हमारे प्राण सूख रहें हैं।
भय जो भूख से भरा है। भय जो रोजगार से जुड़ा है। भय जो सामाजिक व्यवहार को असंतुलित कर रहा है। भय जो त्रासद तिरस्कार को सामाजिकता में बदल रहा है। आज हम घरों में बंद हैं। कल जब मुक्त होंगे तब सामाजिक व्यवस्था किस तरह की होगी कल्पना से परे है।
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