Corona काल और ऑनलाइन पढ़ाई विषय पर संकेत के आधार पर लगभग 150 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखो
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24 मार्च को कोविड-19 रोकथाम के लिए जब देश भर में लॉकडाउन लागू किया गया. तो, उसके तुरंत बाद राज्यों की सरकारों ने स्कूली शिक्षा को ऑनलाइन करने का प्रावधान शुरू कर दिया. इसमे एनजीओ, फ़ाउंडेशन और निजी क्षेत्र की तकनीकी शिक्षा कंपनियों को भी भागीदार बनाया गया. इन सब ने मिककर शिक्षा प्रदान करने के लिए संवाद के सभी उपलब्ध माध्यमों का इस्तेमाल शुरू किया. इसमें टीवी, डीटीएच चैनल, रेडियो प्रसारण, व्हाट्सऐप और एसएमस ग्रुप और प्रिंट मीडिया का भी सहारा लिया गया. कई संगठनों ने तो नए अकादमि वर्ष के लिए किताबें भीं वितरित कर दीं. स्कूली शिक्षा की तुलना में देखें, तो उच्च शिक्षा का क्षेत्र इस नई चुनौती से निपटने के लिए बहुत ही कम तैयार था.
इस मामले के तमाम विशेषज्ञ जैसे कि आईआईटी बॉम्बे के प्रोफ़ेसर सहाना मूर्ति का ये मानना है कि आमने सामने की पढ़ाई से अचानक ऑनलाइन माध्यम में स्थानांतरित होने से शिक्षा प्रदान करने का स्वरूप बिल्कुल बदल गया है. इस ऑनलाइन शिक्षा को आपातकालीन रिमोट टीचिंग कहा जा रहा है. ऑनलाइन एजुकेशन और इमरजेंसी ऑनलाइन रिमोट एजुकेशन में बहुत फ़र्क़ है. ऑनलाइन शिक्षा अच्छी तरह से अनुसंधान के बाद अभ्यास में लाई जा रही है. बहुत से देशों में तालीम का ये माध्यम कई दशकों से इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि पाठ्यक्रम को ऑनलाइन उपलब्ध कराया जा सके. इसके मुक़ाबले भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों में इस ऑनलाइन शिक्षा की उपलब्धता काफ़ी कम है. अब अगर यूनिवर्सिटी और कॉलेज आने वाले सेमेस्टर से ऑनलाइन क्लास शुरू करते हैं, तो उन्हें इस रिमोट ऑनलाइन एजुकेशन और नियमित ऑनलाइन पढ़ाई के अंतर को ध्यान में रखकर अपनी तैयारी करनी होगी. क्योंकि, अगर देश में कोविड-19 के मरीज़ों की तादाद बढ़ती रही, तो उच्च शिक्षण संस्थानों को भी स्कूलों की ही तरह नियमित ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करनी होगी.
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बाधाएँ, निष्कर्ष।
SOLUTION
चीन के वुहान से शुरू हुआ कोविड-19 या कोरोना वायरस अत्यंत सूक्ष्म किंतु घातक वायरस है। इस वायरस ने विश्व के अनेक देशों में लाखों करोड़ों लोगों को अकाल मृत्यु का शिकार बना दिया है। कोरोना वायरस के तेजी से फैलने के कारण संपूर्ण मानवीय गति विधियों को रोकना आवश्यक हो गया। संक्रमण से बचाव का एकमात्र उपाय लॉकडाउन था। सभी सार्वजनिक स्थल होटल, सिनेमा हॉल आदि बंद कर दिए गए। सभी शिक्षण संस्थाएँ बंद करके विद्यार्थियों को ऑनलाइन शिक्षा की सुविधा प्रदान की जा रही थी। ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से आज बच्चे शिक्षा ले रहे हैं पर यह सभी तक समान रूप से पहुँच नहीं रही है। इससे बच्चे घर पर ही अपने शिक्षकों की ऑनलाइन शिक्षा सेवा द्वारा शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं परंतु जहाँ इंटरनेट की सुविधा नहीं है वहाँ के बच्चों के लिए यह शिक्षा प्रभावकारी नहीं है जिससे उन्हें काफी हद तक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ज्यादा से ज्यादा इंटरनेट के माध्यम से बच्चों को शिक्षा देने के कारण बच्चों का पढ़ाई के प्रति रुझान भी कम होता जा रहा है। इंटरनेट की सुविधा हर जगह सुचारू रूप से उपलब्ध नहीं है और ग्रामीण व आर्थिक रूप से कमजोर छात्र मोबाइल व लैपटॉप ना होने के कारण इन कक्षाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। अतः अब ईश्वर से निवेदन है कि जल्द से जल्द यह महामारी जाए ताकि हमारी शिक्षा व्यवस्था दोबारा से पटरी पर आ जाए।