Hindi, asked by meenusabharwal1977, 4 months ago

corona kaal me sanyukt parivaar ka mahatv par nibandh 250 words​

Answers

Answered by beenabansal05
2

Explanation:

कोरोना वायरस और लॉकडाउन ने सभी को संयुक्त परिवार के महत्व को अच्छी तरह से समझा दिया है। साथ ही यह एहसास कराया कि ऐसी घड़ी में परिवार में रहना कितना मायने रखता है। आइए विभिन्न लोगों की इस बारे में तर्कपूर्ण विचारों को जानते हैं। साथ ही संयुक्त परिवार के महत्व को जानते-समझते हैं- नौकरी, व्यापार और भविष्य के सुनहरे सपने लिए युवा बाहर जाने लगे और परिवार एकल होता चला गया। परिवार के नाम पर पति-पत्नी और एक या दो बच्चे रह गए। दादा-दादी, नाना-नानी का सुख होता क्या है बच्चे जान ही नहीं पाते हैं। दशकों पहले शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसा नहीं था। पहले लोग संयुक्त परिवार की तरह रहते थे। लेकिन धीरे-धीरे यह घटकर एकल परिवार में तब्दील होता चला गया। पिछले काफ ी महीनों से कोरोना महामारी के चलते संक्रमण का डर एकल परिवारों को अपनों के पास खींचने लगा है। अब लोग एक ही छत के नीचे पूरे परिवार सहित हंसी-खुशी रह रहे हैं और एक-दूसरे के काम में हाथ बंटा रहे हैं। चाहे बच्चों की देखभाल हो या फिर रसोई का काम सब मिलकर कर रहे हैं। पुरुष बाहर के काम में एक-दूसरे का सहयोग कर रहे हैं। सहयोग के अटूट बंधन में बंधे रिश्तों की मजबूत डोर को ही तो परिवार कहते हैं। कहा भी गया है परिवार से बड़ा कोई धन नहीं होता। पिता से बड़ा कोई सलाहकार नहीं होता। मां के आंचल से बड़ी कोई दुनिया नहीं होती। भाई से अच्छा कोई दोस्त नहीं होता और बहन से बड़ा कोई शुभचिंतक नहीं होता। इसलिए परिवार के बिना जीवन की कल्पना ही कठिन है। कोरोना वायरस के संक्रमण के बचाव के लिए हुए लॉकडाउन ने संयुक्त परिवारों की अवधारणा को तो मजबूती दी ही है, परिवार के सदस्यों के बीच की दूरियों को भी कम कर दिया है। कई परिवार इस लॉकडाउन का इस्तेमाल क्व ालिटी टाइम बिताने और आपसी रिश्ते मजबूत करने में कर रहे हैं।

लॉकडाउन ने बढ़ा दी परिवार की एकता : पारेख परिवार के सबसे बड़े सदस्य पारसमल और ज्योति पारेख का कहना है कि लॉकडाउन के ये दिन जिंदगी में हमेशा याद रहेंगे। स्कूल-कॉलेज बंद होने से बच्चे घर में ही हैं। घर में फ रमाइश अब प्राइवेसी की नहीं, बल्कि नए-नए पकवानों की होती है। पोता-पोती घर की सफ ाई से लेकर खाना बनाने तक में साथ रहते हैं। छोटे हों या बड़े, घर में सभी को एक साथ बैठकर गेम्स खेलना ही होता है। बेटी दूर रहती है, तो आॅनलाइन उसको भी जोड़ लेते हैं। दरअसल, इस लॉकडाउन ने हमारे परिवार की एकता बढ़ाई है। वहीं घर के छोटे बच्चों का कहना है कि दादा-दादी से हमें परिवार की पुरानी परम्पराओं और कहानियों को जानने का मौक ा मिल रहा है। इसी तरह दीपिका रुणवाल का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान अपने घरों में रहने से हमें प्रतिबिंबित होने का समय मिला है। कोरोना जैसी महामारी ने परिवारों में जुड़ाव पैदा करके बचपन के उन दिनों को फिर से याद करना शुरू कर दिया। हमने अपने रिश्तों को फिर से जोड़ा और जो हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। सही कहा जाए, तो कोरोना ने परिवारों को जोड़ने में अहम भूमिका अदा की है। वहीं इन्दु व्यास का कहना है कि लॉकडाउन कई परिवारों के लिए प्रशिक्षण काल रहा। इस दौरान हमें परिवार के साथ रहने का मौक ा मिला। परिवार के साथ सामंजस्य बढ़ाने का सुअवसर मिला। बेवजह के खर्चों पर भी रोक लगा। इस दौरान जाना कि कम पैसों में भी घर चलाया जा सकता है।

Similar questions