Hindi, asked by rimshashaikh200205, 6 months ago

corona kaal me shiksha ki dasha nibandh ​

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Answered by abhigangwar3132
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इस समय दुनिया के दूसरे देश क्या कर रहे हैं, उनसे हम सीख सकते हैं। जून के पहले हफ्ते में इंग्लैण्ड के कुछ प्राथमिक स्कूलों को खोला गया था। लेकिन डर्बी के एक स्कूल में कार्यरत सात सदस्य संक्रमित पाए गए और फिर स्कूल को कुछ दिनों के लिए बंद करना पड़ा। फ्रांस में भी पहले कुछ स्कूलों को खोला गया था लेकिन एक सप्ताह के भीतर ही सत्तर बच्चों के संक्रमित होने की खबर आई थी। इन दिनों वहां अभिभावक स्कूल आने से पहले छात्रों का तापमान लेते हैं। स्कूल आने पर दिन में दो बार छात्रों का तापमान परिक्षण होता है।

छात्रों की पढ़ाई में हुए नुकसान की भरपाई के लिए भी रणनीति बनानी होगी। इंग्लैण्ड में स्कूलों के बंद होने के दौरान 'घर पर शिक्षा' का अनुभव बहुत उत्साहवर्धक नहीं रहा है। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शिक्षा-संस्थान ने हाल में ही एक अध्ययन किया है। उनका निष्कर्ष है कि स्कूल बंदी के दौरान छात्रों ने घर पर रहते हुए औसतन दो से ढाई घंटे ही स्कूल का कार्य किया है। इंग्लैण्ड में छात्रों के पढ़ाई में हुए नुक्सान की भरपाई के लिए ट्यूशन के द्वारा छात्रों की मदद का प्रस्ताव है। लेकिन इसमें बहुत अड़चनें हैं क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में वहां ट्यूटर की उपलब्धता एक आसान काम नहीं होगा। किस छात्र को क्या अकादमिक सहयोग चाहिए, इसकी पहचान करना भी एक सरल कार्य नहीं है।

दिल्ली सरकार ने स्कूल से लेकर मॉल खोलने के विकल्पों पर नागरिकों और अभिभावकों से राय मांगी थी। कुछ और राज्य सरकारों ने स्कूलों को लेकर अभिभावकों की राय जानने की कोशिश की है। बनारस में एक मान्यता प्राप्त निजी स्कूल के संचालक ने बताया कि मार्च के महीने से ही छात्रों ने आना और फीस देना बंद कर दिया है। ऐसे में स्कूलों के सामने यह संकट है कि वह अपने शिक्षकों को कैसे काम पर बुलाएं ? यदि वह ऑनलाइन शिक्षा का कोई प्रबंधन करते भी हैं तो छात्रों की फीस आएगी इसकी निश्चितता नहीं है। कुछ शहरों में अभिभावक कह रहे हैं कि जब स्कूल चले ही नहीं तो फीस कैसी ? स्कूलों के बंद होने से निजी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों के सामने गंभीर आर्थिक संकट बना हुआ है। कुछ की नौकरी जाने का खतरा है।

स्कूल खुलने से पहले स्कूल को अपना मूल्यांकन करना होगा। तमिलनाडु की ही बात करें तो स्कूली शिक्षा में 13000 से अधिक निजी प्रबंधन वाले स्कूल हैं जिनमें लगभग 39 लाख छात्र नामांकित हैं। क्या यहाँ सभी निजी स्कूल, स्कूल खोलने से पहले संभावित जोखिम का आकलन कर पाएंगे ? छात्रों और शिक्षकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी प्रबंध कर पाएंगे ? फीस न मिलने की स्थिति में आर्थिक दबाव, कम जगह की उपलब्धता और इंफ्रास्ट्रक्टर की सीमा के बीच यह एक कठिन कार्य होगा।

अपने देश में सरकारी और निजी स्कूल दोनों को ही खुलने से पहले बहुत से बदलाव करने होंगे। सेनिटाइजर और मास्क का इंतजाम करना होगा। तापमान नापने के लिए डिजिटल थर्मामीटर रखना होगा।  प्रत्येक स्कूल का जोख़िम की दृष्टि से अवलोकन करने की ज़रूरत होगी। उसी के अनुसार स्कूल खोलने की योजना को क्रियान्वित करना होगा। कक्षा में बैठक प्रबंधन से लेकर मध्याहन भोजन तक के लिए नए मानक तय करने होंगे। स्कूल में भोजन-पानी के द्वारा संक्रमण न फैले इसका विशेष ध्यान रखना होगा। दिव्यांग छात्र कैसे स्कूल आएंगे, अगर ज़रूरी है तो उनके लिए विशेष प्रबंध करना होगा।

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