Corona kal mein jo aapane Anubhav kiye unke bare mein aap sath se 80 shabdon ka it anuchchhed likhiye shabdon ka ek anuchchhed likhiye
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रत
टॉगल नैविगेशन
आलेख
कोविड -19 के दौरान अपनी ज़िन्दगी के बारे में बच्चों की वीडियो डायरी
हर बच्चा अपने आप में अलग है | भारत में जिस तरह वे कोरोना वायरस का सामना कर रहे हैं, वह कुछ अलग नहीं है |
पूरे भारत के बच्चों द्वारा
असम की इशिका के लिए ऑनलाइन स्कूल नया अनुभव है।
UNICEF/UNI355820/Panjwani
में उपलब्ध:
English
हिंदी
10 अगस्त 2020
कोविड – 19 ने हमारी ज़िन्दगी में उथल-पुथल मचा दी है | लॉकडाउन, स्कूलों का बंद होना और भौतिक दूरी, इन सबका बच्चों पर गहरा असर पड़ रहा है |
यूनिसेफ ने पूरे देश के बच्चों से इस दौरान घर पर की अपनी दिनचर्या का दस्तावेज़ बनाने को कहा |
स्टे होम डायरी बच्चों के ब्लॉग की एक श्रृंखला है जिसमें उनके द्वारा इस दौरान की परिस्थितियों का किस प्रकार सामना किया जा रहा है और उनकी प्रतिदिन की मनोरंजक गतिविधियों का वर्णन होता है जिससे और बच्चों को भी प्रेरणा मिले |
असम के चाय बागानों से लेकर चेन्नई की झुग्गियों तक, इन वीडियो डायरी में बच्चों द्वारा कोविड – 19 अपने तरीके से सामना किये जाने को दिखाया गया है |
Answer:
Breakthrough Logo
The Breakthrough Voice, हिंदी 29th April, 2020
मेरा अनुभव, मेरी समझ: कोरोना से जुड़े अंधविश्वास.
हमारी पूरी मानव जाति आज एक ऐसी महामारी से जूझ रही है, जो मानव के स्वयं की गलतियों को प्रकाशित कर रहा है। मेरे अनुसार भारत में कोरोना की जंग लड़ने के लिए दो अलग-अलग पक्ष हैं। एक पक्ष हमें यह बताता है कि हमें घर पर रहना चाहिये, साफ-सफाई का ध्यान रखना एवं सरकार की बातों का पालन करना चाहिए; तभी हम और हमारा परिवार कोरोना से सुरक्षित रहेंगे। इसी के विपरीत दूसरा पक्ष वह है जो समाज की सारी समस्याओं का हल करने के लिये किसी आकाशवाणी पर निर्भर करता है।
इन लॉक डाउन के दिनों में भारत के हर कोनों से अलग अलग आकाशवाणी सुनने को मिली है। मैंने एक बार अपनी माता श्री से यह पूछा कि इस तरह की आकाशवाणी मेरे साथ क्यों नहीं होती? इस पर वह अपनी पूजा की घंटियों को बजाते हुऐ मेरी तरफ देखते हुए बोली, “यह सब नास्तिको के साथ नहीं होता। देख नहीं रही हो, माता दुर्गा के वजह से ही भारत में स्थिति नियंत्रण में है। विदेशों में लोग पूजा-पाठ नहीं करते इस लिए वहाँ ऐसी स्थिति है।”
लॉकडाउन में कोरोना वायरस को लेकर राष्ट्र के नाम संबोधन में पीएम ने देशवासियों से एक खास अपील किया कि 22 मार्च को हम ऐसे सभी लोगों को धन्यवाद अर्पित करें जो जोखिम उठाकर आवश्यक कामों में लगे हैं, इस महामारी से लड़ने में मदद कर रहे हैं। रविवार को ठीक 5 बजे हम अपने घर के दरवाज़े, बालकनी-खिड़कियों के सामने खड़े होकर पांच मिनट तक ताली-थाली बजा कर उन लोगों के प्रति कृतज्ञता जताएं। सभी ने इसका पालन भी किया लेकिन हमारा वैसा पक्ष जो आकाशवाणी पर निर्भर करता है उन सभी को यह समझ आया कि कोरोना एक वायरस है जिसके हम इंसानों की तरह 2 कान हैं और हमारे आवाज़ करने से वह भाग जायेगा। इस तरह हमारे लॉकडाउन की शुरुआत हुई।
यह यही खत्म नहीं होता है। इस बीच मेरी माता श्री रामायण की एक पुस्तिका ले कर मेरे पास आयी और कहती हैं, सभी को इसमें हुनमान जी के बाल मिल रहें हैं, तुम भी ढूंढो! उनसे जब मैंने पूछा कि आप उस बाल का क्या करोगे तो कहती हैं गंगा जल से बाल को धो कर उस पानी को पीना है। ये सुनते ही मुझे उल्टी आ गयी। लेकिन बाद में मुझे वो पानी कब पिला दिया गया यह मुझे भी नहीं पता चला। इन सब के बाद मुझे लगा चलो अब कोई टोटका नहीं है। लेकिन इस बार फिर मैं गलत थी। हमारे प्रधानमंत्री जी ने कहा कि सभी रात के 9 बजे 9 मिनट अपने घर की बालकनी में दिया, मोमबत्ती, मोबाइल का लाइट जला कर हमारे कोरोना के योद्धाओं का प्रोत्साहन बढ़ाएंगे। लेकिन हमारे भारत की भोली जनता ने इसको भी एक टोटका समझ लिया। सब कहने लगे प्रधानमंत्री ने किसी पंडित से पूछ कर ऐसा करने को कहा है। जब मैंने इन बातों का खंडन किया तो मुझे सुनने को मिला कि फिर तुम ही सोचो उन्होंने 9 बज कर 9 मिनट तक ही दिया जलाने को क्यों कहा?
मैं सोच में पड़ गयी 9 मोबाइल कहा से लाऊँ? खैर, घर के सभी लोगों का मोबाइल मिला कर 9 मोबाइल भी आया और 9 दिये भी जले। इन सब चीज़ों से मैं इतनी निराश हो गयी थी कि पढ़ी-लिखी होने के बावजूद यह सब मैं क्या कर रही हूँ। लेकिन मेरी माता श्री ने मुझे इमोशनल ब्लैकमेल किया और साफ तौर पर मैं इसकी शिकार हुई। यह सब तो चल ही रहा था कि तभी मैंने न्यूज़ देखने के लिए अपना टीवी खोला जिसपे एक मौलाना जी का इंटरव्यू चल रहा था जो न्यूज़ रिपोर्टर से यह बहस कर रहें थे कि हम मुसलमानों को कोरोना छू भी नहीं सकता क्योंकि हम पाक और साफ दिल के हैं। यह सभी बा