corona mahamari ke baad phir se maan majabutkarne par essay in hindi
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कोविड-19 की महामारी ने न केवल वैश्विक स्तर पर किसी महामारी से निपटने की मानवता की तैयारियों का इम्तिहान लिया है. बल्कि, इस महामारी ने तमाम देशों के बीच आपसी सहयोग और उत्तरदायित्व बांटने की क्षमता की परीक्षा भी ली है।कोविड-19 की महामारी की शुरुआत वर्ष 2019 के आख़िरी महीनों में हुई थी. और इसकी सबसे अधिक सक्रियता का दौरा मार्च से लेकर मई 2020 के दौरान देखा गया. उसके बाद से ये महामारी दुनिया के हर देश का इम्तिहान ले रही है. इसके क़हर से दुनिया का कोई भी देश नहीं बच सका है. इस महामारी ने अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और अधिकारियों के लिए भी चुनौती पेश की है. इनमें से कई अधिकारियों और संस्थाओं को कोविड-19 से ठीक तरह से न निपट पाने के लिए भारी आलोचना का सामना भी करना पड़ा है. कोविड-19 की महामारी ने न केवल वैश्विक स्तर पर किसी महामारी से निपटने की मानवता की तैयारियों का इम्तिहान लिया है. बल्कि, इस महामारी ने तमाम देशों के बीच आपसी सहयोग और उत्तरदायित्व बांटने की क्षमता की परीक्षा भी ली है. कई देश इस महामारी के तेज़ी से हो रहे प्रसार को रोक पाने में असफल साबित हुए. यही नहीं, कोविड-19 की महामारी मानवता के साहस और धैर्य का भी इम्तिहान ले रही है. इस महामारी के कारण हमारी व्यवस्था की जो कमियां पहले से मौजूद थीं, वो और विकृत रूप में उभर कर सामने आईं. इसके अलावा कोविड-19 ने कई नई समस्याएं भी हमारे सामने पेश कीं. इससे भूमंडलीकरण और पूरी दुनिया के एक ग्लोबल विलेज में तब्दील होने की अवधारण का भी चुनौती दी है. इसके साथ-साथ कोविड-19 ने हमारी दुनिया की उठा-पटक और अंतरराष्ट्रीय संबंधों की वर्तमान व्यवस्था की तमाम कमज़ोरियों को भी उजागर कर दिया है।