Corona mahamari ke kaaran school na khulne par digital madhyam se kaksha lene ke liye vidhyarthiyon ko Sandesh likiye
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भारत में कोरोना महामारी के बाद स्कूलों का नया सेशन शुरु होने वाला है. शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने अगस्त में स्कूलों के खुलने की बात कही थी लेकिन अभी तक बहुत से राज्य सरकारों की तरफ से कोई तारीख सामने नहीं आई है. मार्च के महीने में लॉकडाउन शुरु होते ही सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया था जिस बीच 10वीं और 12वीं के बोर्ड एग्जाम समेत कई परीक्षाएं टल गई थी जो अभी भी बाकी हैं. हालांकि अब भी कोविड संक्रमित लोगों का आंकड़ा देश में लगातार बढ़ता जा रहा है और अब ये छह लाख के पार जा चुका है, पर देश इस वक्त लॉकडाउन हटा कर ‘अनलॉक' के दौर में हैं.
केंद्र सरकार ने स्कूलों को खोलने को लेकर कई तरह की गाइडलाइन जारी की हैं जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग और सैनिटाइजेशन जैसी चीजों को लेकर कुछ नियम हैं. साथ ही स्कूलों में सिर्फ 30-40 फीसदी की स्ट्रेंथ रखने की भी बात की गई है. दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में जहां इंफेक्शन का जोखिम ज्यादा है वहां शायद अभी कुछ महीने तक स्कूल ना खुलें तो वहीं कुछ शहरों में चरणों में स्कूलों को खोलने की बात हो रही है.
कितने तैयार हैं स्कूल?
गोरखपुर के सरमाउंट इंटरनेशनल स्कूल के प्रिंसिपल मेजर राजेश रंजीत का कहना है कि उनके हिसाब से इस साल दिसंबर तक स्कूलों के खुलने की संभावना कम ही नजर आ रही है. लेकिन अगर स्कूल खुलते हैं तो सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर स्कूल में बड़े इंतज़ाम किए जा रहे हैं. उनके स्कूल में एक सेक्शन में 30 से 40 बच्चे है, और सभी बच्चों के बीच 1 मीटर की दूरी बनाए रखने के लिए उन्हें क्लास को दो सेक्शन्स में बांटना होगा, इसके लिए उनके पास कितने कमरे मौजूद हैं ये भी देखना पड़ेगा. उनका कहना है कि सैनिटाइजेशन समेत पानी पीने के इंतजाम तक में कई बदलाव देखने को मिलेंगे. लेकिन आखिरी फैसला तब ही हो पाएगा जब स्कूल खुलने की तारीख सामने आए.
ग्रेटर नोएडा के मंथन स्कूल में प्राइमरी सेक्शन की हेड पूजा बजाज का कहना है कि उनके स्कूल में भी लगातार साफ-सफाई का काम हो रहा है, साथ ही अब थर्मल स्क्रीनिंग और सैनिटाइजर स्टैंड भी लगा दिए गए हैं. साथ ही वो बच्चों और पेरेंट्स से लगातार बातचीत कर रही हैं. लेकिन जब तक स्कूलों के खुलने की तारीख का पता नहीं चलता और सरकार की तरफ से गाइडलाइंस नहीं आ जाते तब तक ये कहना मुश्किल है कि कितने बच्चों को स्कूल बुलाया जा सकता है और उसके लिए कितनी तैयारी की जरूरत है.
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