corona mahamari par vidhyarathi only hindi.
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मार्च में लॉकडाउन के बाद से चार महीने बाद मंदिर, मस्जिद, गुरद्वारे और गिरजाघर तो खुल गए मगर स्कूल-कॉलेज—विश्वविद्यालय आदि शिक्षा के ठिकाने बंद हैं। बरायेनाम ऑनलाइन शिक्षा जारी है मगर स्कूल-कॉलेज-टेक्निकल इंस्टीट्यूट जाए बगैर क्या बच्चों से असल पढ़ाई-लिखाई करवाई जा सकती है?
जाहिर है कि देश के करोड़ों विद्यार्थी तो नोबेल पुरस्कार विजेता कवि, लेखक, पेंटर, दार्शनिक रवींद्रनाथ ठाकुर हैं नहीं जो घर पर मिली शिक्षा की बदौलत पूरी दुनिया से अपनी विद्वत्ता का लोहा मनवा लेंगे। स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा जहां बेतहाशा बढ़ रहे संक्रमितों की सेवा में चरमरा रहा है वहीं शिक्षा का तंत्र लॉकडाउन की मार से पस्त है।
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