Hindi, asked by Anonymous, 26 days ago

Corona se aye apne jivan me badlav varnan kijiye​

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Answered by kulkarninishant346
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Answer:

Explanation:

धरती, आकाश, जल कहीं भी निवास करने वाला कोई भी पशु-पक्षी, कीड़े चाहे कैसे भी नन्ही-सी जान से लेकर के बड़े से बड़ा शरीरधारी जीव। सभी वहां कट-फटकर बिकाऊ हैं। जिंदा भी अपनी मृत्यु का इंतजार कर रहे हैं पिंजरे में निरीह! बेचारे। लाचार! अपनों को जिंदा भूनते-कटते हुए देखते! कितना वीभत्स? कितना घृणास्पद?

याद आती हैं मुझे ये पंक्तियां-

धर्मराज यह भूमि किसी की, नहीं क्रीत है दासी,

हैं जन्मना समान परस्पर, इसके सभी निवासी।

सबको मुक्त प्रकाश चाहिए, सबको मुक्त समीरण,

बाधारहित विकास, मुक्त आशंकाओं से जीवन।

पर कहां होता है ऐसा? सर्वाधिक स्वार्थी इंसानों ने धरती, आकाश, जल सभी जगह अपना अतिक्रमण, नाजायज कब्जा जमा लिया है। कोई जगह ऐसी नहीं जहां बाकी के प्रकृति के बच्चे सुकून से जी पाएं। इंसानों की हैवानियत किसी को नहीं बख्श रही।

आकीर्णम् ऋषिपत्निनाम् अटजद्वार ओधिमि:।

अपत्य अरिवनिवार भागधेय:अर्चिते मृगै:।

रघुवंश वशिष्ठ के आश्रम का वर्णन करते हुए महाकवि कालिदास ने कहा कि आदमी और जानवर में मां-बेटे का रिश्ता कायम था। आश्रम हिरणों से भरपूर था और वे अपने खाने के हिस्से के लिए बच्चों के माफिक अनाज अंदर ले जाती हुई ऋषि पत्नियों का रास्ता अधिकारपूर्वक स्नेह के साथ रोकते थे।

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