corona se hue logo ko pareshaniya essay in hindi (please do right asnwer)
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संयुक्त राष्ट्र की कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवेलपमेंट (UNCTAD) ने ख़बर दी है कि कोरोना वायरस से प्रभावित दुनिया की 15 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत भी है.
चीन में उत्पादन में आई कमी का असर भारत से व्यापार पर भी पड़ा है और इससे भारत की अर्थव्यवस्था को क़रीब 34.8 करोड़ डॉलर तक का नुक़सान उठाना पड़ सकता है.
यूरोप के आर्थिक सहयोग और विकास संगठन यानी ओईसीडी ने भी 2020-21 में भारत की अर्थव्यवस्था के विकास की गति का पूर्वानुमान 1.1 प्रतिशत घटा दिया है.
ओईसीडी ने पहले अनुमान लगाया था कि भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर 6.2 प्रतिशत रहेगी लेकिन अब उसने इसे कम करके 5.1 प्रतिशत कर दिया है.
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भारत की राजधानी दिल्ली में रह रहे हज़ारों ग़रीबों में से मोहम्मद आलम एक हैं. वो सरकार की ओर से मिलने वाले राशन के लिए लगने वाली कतार में खड़े हैं. अपने बच्चे को गोद में लिए मोहम्मद आलम सरकारी दाल-चावल मिलने के इंतज़ार में हैं.
जिस फ़ैक्ट्री में वो दैनिक मज़दूरी करते थे वो बंद हो गई है और उनकी आमदनी का ज़रिया भी ठप हो गया है. आने वाले वक़्त में आलम अपने परिवार का पेट कैसे भरेंगे इसकी चिंता उन्हें सता रही है. वो कहते हैं, ''मुझे नहीं पता मैं कैसे रहूंगा. परिवार का पेट भरने के लिए मुझे पैसे उधार लेने पड़ेंगे.''
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण उसी दिन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहती हैं कि ''कोई भी भूखा न रहे सरकार इसका प्रयास कर रही है.'' लेकिन जिन कतारों में आलम जैसे लोग खड़े हैं वो बहुत लंबी हैं और खाने की मात्रा पर्याप्त नहीं है.
कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से जिस वक़्त देश में लाखों लोग घरों में हैं और वो ऑनलाइन डिलिवरी सिस्टम का भरपूर फायदा उठा रहे हैं और घर बैठे मनचाही चीज़ें भी हासिल कर पा रहे हैं, उसी वक़्त देश में हज़ारों लोग सड़कों पर हैं और उनके सामने रोज़ीरोटी का संकट है.
कोरोना वायरस
इमेज स्रोत, GETTY IMAGES
यह विकट संकट की घड़ी है. 130 करोड़ आबादी वाले देश में तीन हफ़्तों के लिए लॉकडाउन घोषित किया गया है. लोगों को घरों में रहने के लिए कहा गया है और कारोबार पूरी तरह ठप हैं. बड़ी संख्या में लोग घरों से काम कर रहे हैं और प्रोडक्टिविटी में भारी गिरावट देखने को मिल रही है.