Science, asked by mohit6028, 9 months ago

corona virus महामारी समाप्त होने के बाद​

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Answered by sureshgowda24244
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कोविड-19 संक्रमण से लड़ने के लिए दुनिया भर के लोग और सरकारें जो रास्ता चुनेंगे वह आने वाले सालों में हमारी दुनिया को बदल देगा. यह मानना है बाइ सेपियन्स- ए ब्रीफ़ हिस्ट्री ऑफ हम्यूमनकाइंड के लेखक इतिहासकार युवाल नोआह हरारी का.

इस महामारी के बाद किस तरह का समाज उभरेगा? क्या दुनिया के देशों में आपसी एकजुटता बढ़ेगी या एक दूसरे से दूरी बढ़ेगी? अंकुश लगाने और निगरानी रखने के तौर तरीक़ों से नागरिकों को बचाया जाएगा या उनका उत्पीड़न होगा?

बीबीसी के न्यूऑवर प्रोग्राम में हरारी ने इन सवालों पर कहा, "संकट ऐसा है कि हमें कुछ बड़े फ़ैसले लेने होंगे. ये फ़ैसले भी तेजी से लेने होंगे. लेकिन हमारे पास विकल्प मौजूद है."

राजनीतिक' संकट

हरारी ने कहा, "हमारे पास दो अहम विकल्प हो सकते हैं- इस संकट का सामना हम राष्ट्रवादी अलगाव से करेंगे या फिर फिर वैश्विक साझेदारी और एकजुटता प्रदर्शित करते हुए करेंगे."

"प्रत्येक राष्ट्र के स्तर पर भी हमारे सामने विकल्प मौजूद हैं. सर्वधिकार संपन्न केंद्रीकृत निगरानी व्यवस्था (पूरी तरह सर्विलेंस व्यवस्था) और सामजिक एकजुटता वाले नागरिक सशक्तीकरण में से एक को चुनना है.''हरारी के मुताबिक़ कोरोना वायरस महामारी ने वैज्ञानिक और राजनीतिक दोनों तरह के सवालों को जन्म दिया है.

उनके मुताबिक़ दुनिया कुछ वैज्ञानिक चुनौतियों को हल करने की कोशिश तो कर रही है लेकिन राजनीतिक समस्याओं की ओर उसका ध्यान कम ही गया है.

उन्होंने कहा, "महामारी को रोकने और हराने के लिए मानवता के पास वह सब कुछ है जिसकी ज़रूरत है."

"यह कोई मध्यकालीन समय नहीं है. यह प्लेग वाली महामारी भी नहीं है. ऐसा भी नहीं है कि लोग मर रहे हैं और हमें मालूम ही नहीं हो कि वे क्यों मर रहे हैं और क्या करना चाहिए."

चीन के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस संक्रमण फैलने के दौरान ही सार्स-कोव-2 वायरस की पहचान कर उसे मैप कर लिया. दूसरे देशों में भी इसी तरह की जांच चल रही है.

अब तक कोविड-19 संक्रमण का कोई इलाज नहीं मिला है. हालांकि दुनिया भर के रिसर्चर अत्याधुनिक तकनीक और इनोवेशन के ज़रिए इस वायरस का टीका विकसित करने में जुटे हैं.

हमलोगों को यह भी मालूम हो चुका है कि हाथ धोते रहने और सोशल डिस्टेंसिंग से वायरस के संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है.

हरारी ने बीबीसी के न्यूजऑवर प्रोग्राम में कहा, "इस वायरस को हम लोग पूरी तरह समझ चुके हैं. हमारे पास तकनीक भी है. इस वायरस को हराने के लिए हमारे पास आर्थिक संसाधन भी मौजूद हैं. लेकिन सवाल यही है कि हम इन ताक़तों का इस्तेमाल कैसे करते हैं? यह निश्चित तौर पर एक राजनीतिक सवाल है."ख़तरनाक तकनीक का इस्तेमाल

हरारी ने हाल ही में फाइनेंशियल टाइम्स में लिखे अपने एक लेख में कहा है कि इमर्जेंसी ऐतिहासिक प्रक्रियाओं को फास्ट फॉरर्वर्ड कर देती है. आम तौर पर जिन फ़ैसलों को करने में सालों का वक़्त लगता है उन फ़ैसलों को रातोरात करना होता है.

इसी लेख में उन्होंने लिखा है कि इमर्जेंसी के वक़्त में ख़तरनाक तेज़ी से विकसित हो रहीं निगरानी तकनीकों को समुचित विकास और सार्वजनिक बहस के बिना भी काम पर लगा दिया जाता है.

हरारी के मुताबिक़ सरकार के अंदर भी यह तकनीकें ग़लत हाथों में इस्तेमाल हो सकती हैं. सरकार पूरी तरह से निगरानी की व्यवस्था लागू कर सकती हैं, जिसमें हर आदमी पर हर पल नज़र रखी जा सकती है और अपारदर्शी ढंग से फ़ैसले कर सकती है.

उदाहरण के लिए इसराइल की सरकार ने सीक्रेट सर्विसेज की ताक़त को बढ़ाया दिया है. इसके ज़रिए ना केवल वे स्वास्थ्य अधिकारियों पर नज़र रख रहे हैं बल्कि हर शख्स के लोकेशन डेटा पर नज़र रखी जा रही है. इसे दक्षिण कोरिया में भी लागू किया गया है लेकिन हरारी के मुताबिक दक्षिण कोरिया में इसे कहीं ज़्यादा पारदर्शिता के साथ लागू किया गया है.

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