Corona virus pandemic situation in Hindi
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सबसे पहले यह जान लेना जरूरी है कि किसी बीमारी को महामारी घोषित कर देने से उस बीमारी के लक्षणों या प्रकृति में कोई बड़ा बदलाव नहीं हो जाता है। दरअसल जब कोई बीमारी किसी एक देश या सीमा तक सीमित नहीं रहती है और दुनिया के कई देशों में बड़े पैमाने पर फैलने लगती है तो उसको महामारी घोषित किया जाता है।किसी बीमारी को महामारी घोषित करने के लिए कोई तय पैमाना नहीं है। किसी बीमारी से होने वाली मौत या इन्फेक्शन या उससे प्रभावित देशों की संख्या के आधार पर किसी बीमारी को महामारी नहीं घोषित किया जा सकता है। साल 2003 में सार्स कोरोना वायरस सामने आया था। उससे 26 देश प्रभावित हुए थे। इसके बावजूद सार्स कोरोना वायरस को महामारी घोषित नहीं किया गया था। किसी बीमारी को महामारी घोषित करने का फैसला WHO को लेना होता है। साथ ही यह भी ध्यान रखा जाता है कि महामारी घोषित होने के बाद कोई अनावश्यक खौफ या डर की स्थिति पैदा न हो जाए। जैसे 2009 में 'स्वाइन फ्लू' को महामारी घोषित करने के बाद हुआ था।महामारी घोषित करते समय एक बात और ध्यान रखी जाती है। किसी प्रभावित देश से आने वाले यात्री की वजह से अगर कुछ देशों में छिटपुट मामले सामने आते हैं तो उसको महामारी घोषित नहीं किया जाता है। जब कई देशों में स्थानीय स्तर पर आपस में लोगों के बीच बीमारी लगातार फैलने लगती है तब ही उसको महामारी घोषित किया जाता है। जैसा कि कोरोना वायरस को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि इसे महामारी घोषित करने में इतना समय क्यों लगा तो कोरोना वायरस के साथ भी ऐसा ही हुआ। शुरुआत में स्थानीय स्तर पर बीमारी के फैलने के ज्यादा मामले सामने नहीं आए थे।
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