Hindi, asked by dolbyabrol2005pd56lg, 3 months ago

coronavirus bimaari ne hume kya sikhaya? speech for 2 minutes​

Answers

Answered by kanakjarwal011
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Corona virus bimari ne hume ye sikhaya ki kuch bhi kabhi bhi ho sakta hai isliye hume hamesa haar chij ke liye taiyr rehna chaiye

Answered by aravvarshney80pcbme9
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Answer:

1. स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च सबसे जरुरी है

कोरोना वायरस से पैदा हुए संकट ने हमें ये अच्छी तरह समझा दिया कि डॉक्टर और स्वास्थ्य सुविधाओं की अहमियत क्या है.

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आज डॉक्टरों या स्वास्थ्यकर्मियों के ही भरोसे पूरी मानव सभ्यता जिंदगी की उम्मीद बांधे हुए है. आज अगर वो नहीं होते तो हम हाथ पर हाथ धरे अपनी मौत का इंतजार कर रहे होते. चाहे हमारा बैंक बैंलेन्स कितना भी ज्यादा क्यों नहीं हो या हम कितनी भी नामचीन हस्ती क्यों ना हों.

आम लोगों को समझ में आ गया है कि एक खिलाड़ी या अभिनेता से ज्यादा जरुरी एक डॉक्टर है. वही असली जिंदगी के हीरो हैं.

यही नहीं दुनिया भर की सरकारों और नीति नियंताओं को भी ये सबक हासिल हो गया है कि उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं पर ज्यादा से ज्यादा पैसे खर्च करना पड़ेगा.

आम तौर पर दुनिया के देश स्वास्थ्य सेवाओं(Health Budget) पर खर्च करने में कंजूसी करते हैं. यही वजह है कि अमेरिका अपनी जीडीपी का 18 फीसदी, ब्राजील लगभग 8.3 प्रतिशत, रूस 7.1 प्रतिशत, दक्षिण अफ्रीका लगभग 8.8 प्रतिशत, चीन 6 प्रतिशत, मलयेशिया 4.2 फीसदी, थाइलैंड 4.1 फीसदी, फिलीपींस 4.7 फीसदी, इंडोनेशिया 2.8, नाइजीरिया में 3.7 श्रीलंका 3.5 और पाकिस्तान 2.6 फीसदी स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करता है.

वहीं भारत अपनी जीडीपी का मात्र 1.15 फीसदी हेल्थ पर खर्च करता है.

लेकिन अब दुनिया को सबक मिल गया है. कोरोना वायरस से उत्पन्न संकट के बाद दुनिया के हर देश को अपने यहां स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ाना ही होगा.

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2. परमाणु बम और मिसाइल आपकी सुरक्षा की गारंटी नहीं हैं

कोरोना वायरस का आकार पेन के एक बिंदु से भी 2000(दो हजार) गुना ज्यादा छोटा है. लेकिन ये बड़ी बड़ी इंटर कांटिनेन्टल बैलेस्टिक मिसाइलों(ICBM) और भारी भरकम परमाणु हथियारों(Nuclear Weapons) से ज्यादा खतरनाक है.

कोरोना त्रासदी से पहले कई दशकों से पूरी दुनिया में मिसाइलों और परमाणु हथियारों के जखीरे इकट्ठा करने की होड़ चल रही थी.

इसी होड़ का नतीजा है कि पूरी दुनिया में 14465(चौदह हजार चार सौ पैंसठ) परमाणु हथियार इकट्टा हो गए हैं. इसमें से 3750(तीन हजार सात सौ पचास) परमाणु हथियार लगातार एक्टिव मोड में हैं. यानी उन्हें कुछ ही पलों में फायर किया जा सकता है.

इन परमाणु हथियारों की बदौलत पूरी दुनिया 21 बार नष्ट हो सकती है.

इसमें से रुस के पास 6850, अमेरिका के पास 6450, फ्रांस के पास 300, चीन के पास 280, ब्रिटेन के पास 215, पाकिस्तान के पास 150, भारत के पास 140, इजरायल के पास 80 और उत्तर कोरिया के पास 20 परमाणु हथियार हैं.

वहीं मिसाइलों की गिनती भी लाखों में हैं, जो दुनिया में कहीं भी वार कर सकती हैं. लेकिन यह सभी विशाल हथियार उस अति सूक्ष्म कोरोना वायरस के सामने फेल हो चुके हैं. अगर कोरोना ने पूरी दुनिया की मानव आबादी को खत्म कर दिया तो यह सभी विनाशक हथियार कबाड़ बन जाएंगे.

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3. पर्यावरण सुधारने के लिए अरबों खरबों की फंडिंग बेकार

पूरी दुनिया में कार्बन उत्सर्जन को रोकने और पर्यावरण को बचाने के नाम पर हजारो करोड़ के फंड का आदान प्रदान होता है. दुनिया विकसित और विकासशील दो खेमों में बंटी हुई है. दोनों एक दूसरे पर दुनिया में प्रदूषण फैलाने का आरोप लगाते रहते हैं.

पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से 1992 में बकायदा संयुक्त राष्ट्र के एक अंग यूनाइटेड नेशन फ्रेमवर्क कन्वेन्शन ऑन क्लाइमेट चेंज(UNFCCC)की स्थापना की गई.

कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए दिसंबर 1997 में 'क्योटो प्रोटोकॉल' तैयार किया गया. दुनिया के 192 देशों ने इसपर सहमति दी. लेकिन नतीजा शून्य रहा. धरती पर प्रदूषण बढ़ता ही गया.

पर्यावरण बचाने के नाम पर खरबों रुपए खर्च कर दिए गए. लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं दिखाई दिया. लेकिन एक नन्हे से कोरोना वायरस ने सबक सिखा दिया. नदियां साफ होने लगीं, धरती की ओजोन लेयर सही हो गई, हवा की गुणवत्ता सही हो गई, जंगली जानवर बेखौफ घूमने लगे, भूमिगत जल स्रोत स्वच्छ हो गए. इस तरह के कई बदलाव देखे गए.

THANK YOU....

PLEASE MARK ME BRAINLIST......

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