Hindi, asked by ssabari, 1 year ago

could anyone send madhur madhur mere deepak jaal class 10 para wise summary pls.
here is the poem.i will giv my full points to u pls giv the summary it is imp

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ssabari: i will giv my full points to u pls giv the summary it is imp
ssabari: in english
lsb10: dear i cannot answer it again

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Answered by lsb10
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महादेवी वर्मामधुर मधुर मेरे दीपक जल

मधुर मधुर मेरे दीपक जल
युग युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल,
प्रियतम का पथ आलोकित कर।

इस कविता में अपने मन के दीपक को जला कर दूसरों को राह दिखाने की प्रेरणा दी गई है। मन का दीपक मधुर होकर यदि हर घड़ी, हर दिन करके युगों तक जले तो हर किसी के रास्ते को प्रकाशित कर सकता है। जलने की प्रक्रिया में दीपक अपनी कुर्बानी देता है और पूरे संसार को रौशन करता है। इस शहादत में भी कवयित्री ने दीपक को अपनी मधुरता कायम रखने की प्रेरणा दी है।

सौरभ फैला विपुल धूप बन,
मृदुल मोम सा घुल रे मृदु तन;
दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित,
तेरे जीवन का अणु गल गल
पुलक पुलक मेरे दीपक जल।

जिस तरह से धूप या अगरबत्ती की खुशबू चारों ओर फैल जाती है उसी तरह से आपकी कीर्ति चारों ओर फैलनी चाहिए। दीपक को खुश होकर ऐसे जलना चाहिए जिससे उसका एक एक अणु गलकर उसके मुलायम शरीर को विलुप्त कर दे। इसमें अनंत रोशनी वैसे ही निकलनी चाहिए जैसे सूरज पूरे संसार में सबेरा लाता है। अंधेरा कई तरह का हो सकता है। अज्ञान का अंधेरा उन्हीं में से एक है। इसे दूर करने के लिए बहुत शक्तिशाली दीपक की जरूरत है।

सारे शीतल कोमल नूतन,
माँग रहे तुझसे ज्वाला कण
विश्व शलभ सिर धुन कहता ‘मैं 
हाय न जल पाया तुझमें मिल।
सिहर सिहर मेरे दीपक जल।

जब दिए की लौ काँपते हुए जले तो इतना प्रभाव पड़ना चाहिए कि सभी कोमल और शीतल चीजें उससे ज्वाला की इच्छा रखें। यहाँ पर ज्वाला का मतलब उस असीमित ऊर्जा से है जो आपको कुछ भी कर गुजरने की शक्ति दे सके। जब पतंगों को काँपती लौ से टकराने का मौका न मिले तो वे भी हताशा में अपना सर धुनने लगें। मतलब ऊष्मा इतनी ही होनी चाहिए जिससे वह किसी के काम आ सके और उसे जलाकर भष्म न कर दे।

जलते नभ में देख असंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक;
जलमय सागर का उर जलता,
विद्युत ले घिरता है बादल।
विहँस विहँस मेरे दीपक जल।

आकाश में असंख्य तारे हैं लेकिन उनके पास स्नेह नहीं है। उनके पास अपनी रोशनी तो है पर वे दुनिया को रौशन नहीं कर पाते। वहीं दूसरी ओर, जल से भरे सागर का हृदय भी जलकर बादल की रचना करता है जिससे पूरी दुनिया में बारिश होती है। दीपक को ऐसे ही अपने लिए नहीं बल्कि दूसरों की भलाई के लिए जलना चाहिए।

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