Hindi, asked by ashok5456, 10 hours ago

COVID-19 के दौरान दिवाली किस तरह दिवाली से अलग है जैसे हम मनाते थे ? ​

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Answered by riyaprajapati81
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Answer:

पूरी दुनिया में कोरोना का कहर अभी जारी है। ऐसे समय में देश का सबसे बड़ा त्योहार दिवाली भी मनाया जाना है। हालांकि कोविड 19 ने इससे पहले होली, दशहरा और कुछ अन्य त्योहारों का मजा किरकिरा किया है। यही कारण है कि कोविड के मद्देनजर अब लोगों के मन में दिवाली मनाने को लेकर भी कई तरह की शंकाएं पैदा हो रही हैं। केरोना के हिसाब से देखें, तो इस बार की दिवाली पिछले वर्षों की दिवालियों से बिलकुल अलग होने वाली है। चूंकि देश इस समय प्रदूषण और कोरोना जैसी महामारी के साथ-साथ कुछ अन्य चुनौतियों से भी दो-चार हो रहा है। ऐसे में देश का सबसे बड़ा त्योहार दिवाली आखिर कैसे मनेगा, इसे लेकर क्या तैयारियां हैं आइए डालते हैं एक नजर...

पटाखों के प्रदूषण से कोरोना बढ़ने का खतरा

दुनिया इस समय कोरोना की चपेट में है। हालांकि पिछले कुछ समय से कोरोना मामलों में कमी का दावा करने वाली खबरें सामने आ रही हैं। जबकि कुछ एक्सपर्ट इसकी दूसरी और तीसरी वेव की बात कह रहे हैं। इस तरह इस दिवाली पर चलाए जाने वाले पटाखों के कारण पैदा होने वाले प्रदूषण को रोकना भी एक बड़ी चुनौती है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना की वैक्सीन अभी तक नहीं आई। इसलिए दिवाली पर यदि प्रदूषण बढ़ा तो यह कोरोना मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इससे कोरोना मरीजों में वृद्धि हो सकती है। खासतौर पर बच्चों और बुजुर्गों पर इसका बुरा असर देखने को मिल सकता है। इसके मद्देनजर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने देश के 23 राज्यों में पटाखे चलाने पर रोक की शिफारिश की है। वहीं दिल्ली, पंजाब और फिर हरियाणा सरकार ने भी पटाखे चलाने को लेकर गाइडलाइन जारी की हैं। यहां तक कि पीएम नरेंद्र मोदी ने भी राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में लोगों को त्योहारी मौसम में सतर्क रहने की अपील की थी।

दुकानदारों की चांदी नहीं

दिवाली के मौके पर खुशियां बांटने के साथ-साथ मिठाइयां बांटने का चलन है। लेकिन कोरोना के चलते इस बार मिठाइयों का रंग भी फीका रहने वला है। बाजारों में कमोबेश पहले जैसी रौनक दिखाई नहीं दे रही। विशेषज्ञ वैसे भी इस समय पैक्ड या फिर घर की बनी चीजों को पहल देने की बात कह रहे हैं। इसलिए दुकानदारों की भी चांदी नहीं होने वाली। सरकार भी इस मामले में लोगों की कोई मदद नहीं कर पाएगी। ऐसे लोगों की आर्थिक दशा को ऊपर उठाना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है।

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