Covid 19 के विषय पर दो मित्रों में हो रही चर्चा को संवाद लेखन के रूप में लिखिए
Answers
Explanation:
कोरोना वायरस को लेकर दो मित्रों के बीच संवाद
(कोरोना वायरस को लेकर दो मित्रों अजय और मदन के बीच संवाद हो रहा है)
अजय : यार, यह कोरोनावायरस का प्रकोप तो बहुत ज्यादा फैल गया है, मुझे तो बड़ा डर लग रहा है।
मदन : हाँ, डरने की तो बात ही है। यह ऐसी महामारी है, जिसका अभी तक कोई इलाज नहीं मिल पाया है। ऐसे में इस बीमारी से डरने वाली बात स्वभाविक है।
अजय : अब क्या होगा?
मदन : भले ही इसका इलाज नहीं है, लेकिन हम इस वायरस के संक्रमण को फैलने से तो बचा ही जा सकता हैं। किसी भी रोग को होने की नौबत ना आने देना यानि रोग से बचाव भी एक अच्छा उपाय है।
अजय : इसी कारण हमारे देश की सरकार ने लॉक डाउन किया था ताकि संक्रमण पूरे देश में ना फैल सके।
मदन : बिल्कुल सही हमारे देश में ही नहीं विश्व के अनेक देशों में लॉकडाउन चल रहा है। हालांकि कुछ देशों ने देर से लॉकडाउन आरंभ किया, जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा।
अजय : परन्तु हमारे देश में तो एकदम सही समय पर लॉकडाउन का निर्णय ले लिया गया था।
मदन : बिल्कुल सही इसी कारण आज हमारे देश में कोरोना महामारी का संक्रमण इतने बड़े स्तर पर नहीं फैल पाया। लॉकडाउन करने का लाभ हुआ।
मदन : हां यही कामना है कि जल्दी से जल्दी यह बीमारी न केवल हमारे देश से बल्कि पूरे विश्व से समाप्त हो जाए ताकि हम लोग अपनी पहले वाली जिंदगी सकें और सब कुछ पहले की तरह ठीक हो जाए।
अजय : हाँ, हम अपने मकसद में कामयाब होंगे और कोरोना को हराकर ही दम लेंगे।
मदन : हाँ, बिल्कुल! हम जरूर कामयाब होंगे।
Explanation:
राहुल गांधी: गुड मॉर्निंग राजीव, आप कैसे हैं?
राजीव बजाज: गुड मॉर्निंग राहुल, बहुत अच्छा। आप को फिर देखकर अच्छा लगा।
राहुल गांधी: कोविड संकट में आपके वहां क्या परिस्थिति है?
राजीव बजाज: मुझे लगता है कि हम सभी इस अनिश्चितता में कुछ निश्चितता खोजने की कोशिश कर रहे हैं। यह सभी के लिए नया अनुभव है। यह एक कड़वा मीठा अनुभव है, हम इसे ऐसा ही रहने देते हैं। हमारे जैसे कुछ लोग, जो इसे सहन कर सकते हैं, वे घर पर रहने से बहुत दुखी नहीं हैं। लेकिन जब आप अपने आसपास व्यवसायों और जनता की स्थिति देखते हैं, तो यह निश्चित रूप से मीठे की तुलना में अधिक कड़वा है। इसलिए हर दिन एक नई सीख लेकर आता है कि उसे कैसे झेलना चाहिए, चाहे वो चिकित्सा की दृष्टि से हो, व्यापार की दृष्टि से हो या व्यक्तिगत दृष्टि से।
राहुल गांधी: यह काफी गंभीर है। मुझे नहीं लगता कि किसी ने सोचा था कि दुनिया में इस तरह लॉकडाउन कर दिया जाएगा। मैं नहीं समझता कि विश्व युद्ध के दौरान भी दुनिया बंद हो गई थी। तब भी, चीजें खुली थीं। यह अकल्पनीय और विनाशकारी परिस्थिति है।
राजीव बजाज: मेरे परिवारजन और कुछ दोस्त जापान में हैं, क्योंकि कावासाकी के साथ हमारा जुड़ाव है। कुछ लोग सिंगापुर में हैं, यूरोप में बहुत सारी जगहों पर दोस्त हैं। अमेरिका, न्यूयॉर्क, मिशिगन, डीसी में करीबी दोस्त और परिवारजन हैं, तो जब आप कहते हैं कि दुनिया कभी इस तरह बंद नहीं हुई है, लेकिन जिस तरह से भारत में लॉकडाउन कर दिया गया है, वह एक ड्रेकोनियन लॉकडाउन है। क्योंकि इस तरह के लॉकडाउन के बारे में कहीं से नहीं सुन रहा हूँ। दुनिया भर से मेरे सभी दोस्त और परिवारजन हमेशा बाहर निकलने, टहलने, घूमने और अपनी ज़रूरत की चीज़ खरीदने और किसी से भी मिलने और नमस्ते कहने के लिए स्वतंत्र हैं। इसलिए इस लॉकडाउन के सामाजिक और भावनात्मक पहलुओं के संदर्भ में, वे लोग बहुत बेहतर परिस्थिति में हैं।
राहुल गांधी: और यह अचानक भी आया था। आपने जो कड़वी-मीठी वाली बात कही, वो मेरे लिए चौंकाने वाली है। देखिए, समृद्ध लोग इससे निपट सकते हैं। उनके पास घर है, आरामदायक माहौल है, लेकिन गरीब लोगों और प्रवासी मजदूरों के लिए यह पूरी तरह से विनाशकारी है। उन्होंने वास्तव में आत्मविश्वास खो दिया है। काफ़ी लोगों ने बोला है कि भरोसा खो दिया है, भरोसा ही नहीं बचा और और मुझे लगता है कि यह बहुत दुखद और देश के लिए खतरनाक है।
राजीव बजाज: मुझे शुरू से ही लगता है, यह मेरा विचार है, इस समस्या के दृष्टिकोण के बारे में में मैं यह नहीं समझता कि एशियाई देश होने के बावजूद हमने पूरब की तरफ ध्यान कैसे नहीं दिया। हमने इटली, फ्रांस, स्पेन, ब्रिटेन और अमेरिका को देखा। जो वास्तव में किसी भी मायने में सही बेंचमार्क नहीं हैं। चाहे यह जन्मजात रोग प्रतिरोधक क्षमता हो से लेकर तापमान, जनसांख्यिकी, आदि हो। वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने जो कुछ भी कहा है, वो यही है कि हमें इनकी तरफ कभी नहीं देखना चाहिए था।