Covid-19 kee samassya ke Karan padhai se Judi pareshani ka zikr karte huye apne mitr ko patar likho
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कोरोना वायरस का संक्रमण दुनिया के 200 से अधिक देशों में फैला है. इसे लेकर बहुत से लोग फ़िक्रमंद हैं, जिनमें बच्चे भी शामिल हैं. इस संकट के बारे में मां-बाप अपने बच्चों से कैसे बात करें, इसके लिए ये कुछ टिप्स हैं, जो अभिभावक आज़मा सकते हैं.
कोरोना वायरस का संक्रमण दुनिया भर में फैलने की वजह से बहुत से लोग इस बीमारी के ख़तरों को लेकर चिंतित हैं. ज़ाहिर है ऐसे मुश्किल वक़्त में बच्चे सलाह और मदद के लिए अपने मां-बाप की ओर उम्मीद भरी नज़रों से निहारते हैं. तो, अगर आपके बच्चे इस वायरस के संक्रमण की वजह से परेशान हैं, तो आप उनसे इस बारे में कैसे बात करें?
बच्चों को भरोसा दें
ब्रिटेन की फैमिली डॉक्टर पूनम कृष्णन, छह बरस के बेटे की मां भी हैं. बीबीसी रेडियो स्कॉटलैंड से बात करते हुए डॉक्टर पूनम ने कहा कि, 'आप को अपने बच्चे की चिंता दूर करनी होगी. उसे बताना होगा कि कोरोन वायरस वैसा ही वायरस है, जैसा वायरस आप को खांसी-जुकाम होने या डायरिया और उल्टी होने पर हमला करता है.' डॉक्टर पूनम मानती हैं कि अभिभावकों को अपने बच्चों के साथ इस मुद्दे पर, 'खुल कर ईमानदारी से बात करें. मैं भी अपने बेटे से इस बारे में बात कर रही हूं. साथ ही मैं उन अभिभावकों को भी ऐसा ही करने के लिए प्रेरित कर रही हूं, जो इलाज के लिए मेरे पास आ रहे हैं.'
Image copyright SCIENCE PHOTO LIBRARY कोरोना वायरस
बच्चों के मनोचिकित्सक डॉक्टर रिचर्ड वूल्फ़सन मानते हैं कि कोरोना वायरस जैसे हर बड़े मसले पर बच्चों से बात कैसे करनी है, ये इस बात पर निर्भर करता है कि उनकी उम्र कितनी है. डॉक्टर वूल्फ़सन का कहना है कि, 'छोटे बच्चे, ख़ास तौर से सात या छह बरस से कम उम्र के बच्चे अपने आस-पास ऐसे मसलों पर होने वाली चर्चा से खीझ जाते हैं. क्योंकि उनके मां-बाप भी इसी बारे में उनके आस-पास चर्चा कर रहे होते हैं.' वो आगे कहते हैं कि, 'बच्चों के लिए ये सब बहुत डरावना हो सकता है.' छोटे बच्चों के लिए डॉक्टर वूल्फसन की सलाह ये है कि, 'सबसे पहले तो आप अपने बच्चों को आश्वासन दीजिए. आप को पता नहीं है कि क्या होने वाला है. लेकिन, बच्चों को ये बताएं कि वो ठीक रहेंगे. आप सब ठीक रहेंगे. कुछ लोग बीमार होंगे, पर ज़्यादातर लोगों को इससे कुछ नहीं होगा.'
व्यवहारिक क़दम क्या हो सकते हैं?
हालांकि, डॉक्टर वूल्फ़सन ये कहते हैं कि आप को पता नहीं कि आपके बच्चे को संक्रमण होगा या नहीं. पर, बेहतर होगा कि आप आशावादी रहें. बेवजह की फ़िक्र करके परेशान न हों. वो ये भी कहते हैं कि, 'बच्चों को सिर्फ़ भरोसा देने भर से काम नहीं चलेगा. आप को उन्हें सशक्त बनाना होगा.' सशक्त बनाने से डॉक्टर वूल्फ़सन का मतलब ये है कि उन्हें ये बताना होगा कि वो कौन से ऐसे क़दम उठाएं, ताकि वो संक्रमित होने के ख़तरों को टाल सकें. साथ ही उन्हें ये एहसास भी हो कि चीज़ें उनके अपने हाथ में हैं.
।। कोविड-19 समस्या के कारण पढ़ाई से जुड़ी परेशान का जिक्र करते हुये मित्र तो पत्र ।।
दिनाँक 11 जुलाई 2020
प्रिय मित्र संजीव,
कोविड-19 महामारी का संकट अभी टला नहीं है। ऐसे में हम सबको घर पर ही रहना पड़ रहा है। हम लोगों के स्कूल अभी तक खुले नहीं हैं और हमें घर पर ही रह कर पढ़ाई करनी पड़ रही है। तुम जानते ही हो हम लोगों की पढ़ाई का एकमात्र साधन ऑनलाइन क्लास ही है। मैं तो नियमित रूप से ऑनलाइन क्लास ले रहा हूं तुम भी ऑनलाइन क्लास ले रहे होंगे। लेकिन हमें पढ़ाई संबंधी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हमें किसी पुस्तक पढ़ाई से संबंधित कोई जरूरी पुस्तक की जरूरत होती है तो वह हमें इस समय नहीं आसानी से नहीं मिल पाती है क्योंकि किताबों की सारी दुकानें खुली नही हैं। इसके अलावा ऑनलाइन क्लास में लेते समय कभी-कभी हमारे यहां नेटवर्क की समस्या हो जाती है, इस कारण हमारी ऑनलाइन क्लास मिस हो जाती है और हम बराबर सुन नहीं पाते। ऑनलाइन क्लास में हम इतना कुछ आसानी समझ नहीं पाते जैसा हम अपनी कक्षा में टीचर से समझ और पूछ लिया करते थे।
इस कोविड-19 के कारण हमें अपने घर पर ही रहना पड़ रहा है, इसलिए स्कूल में जो उछलकूद हम लोग करते थे, चलते फिरते रहते थे, खेलते कूदते थे, इन सब से हमें वंचित हो जाना पड़ रहा है और घर में ही कैद रहकर पढ़ाई करनी पड़ रही है, जिससे हमारे मन पर भी बुरा असर पड़ रहा है। हम लोग एक-दूसरे मिल भी नही पा रहे हैं।
तन और मन स्वस्थ रहने के लिए शारीरिक गतिविधि जरूरी है और वह हम लोग कर नहीं पा रहे हैं, तुमको भी ऐसी सारी समस्यायें होती होंगी। हम तुम सब मिलकर भगवान से यही प्रार्थना करते हैं कि इस संकट से हमें शीघ्र ही निजात मिले और हमारे स्कूल चालू हो जाएं और फिर हम सब पहले की तरह हंसते-खेलते पढ़ाई करें।
तुम्हारा दोस्त,