covid-19 पर दो सखियों के बीच संवाद
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Explanation:
राहुल गांधी: गुड मॉर्निंग राजीव, आप कैसे हैं?
राजीव बजाज: गुड मॉर्निंग राहुल, बहुत अच्छा। आप को फिर देखकर अच्छा लगा।
राहुल गांधी: कोविड संकट में आपके वहां क्या परिस्थिति है?
राजीव बजाज: मुझे लगता है कि हम सभी इस अनिश्चितता में कुछ निश्चितता खोजने की कोशिश कर रहे हैं। यह सभी के लिए नया अनुभव है। यह एक कड़वा मीठा अनुभव है, हम इसे ऐसा ही रहने देते हैं। हमारे जैसे कुछ लोग, जो इसे सहन कर सकते हैं, वे घर पर रहने से बहुत दुखी नहीं हैं। लेकिन जब आप अपने आसपास व्यवसायों और जनता की स्थिति देखते हैं, तो यह निश्चित रूप से मीठे की तुलना में अधिक कड़वा है। इसलिए हर दिन एक नई सीख लेकर आता है कि उसे कैसे झेलना चाहिए, चाहे वो चिकित्सा की दृष्टि से हो, व्यापार की दृष्टि से हो या व्यक्तिगत दृष्टि से।
राहुल गांधी: यह काफी गंभीर है। मुझे नहीं लगता कि किसी ने सोचा था कि दुनिया में इस तरह लॉकडाउन कर दिया जाएगा। मैं नहीं समझता कि विश्व युद्ध के दौरान भी दुनिया बंद हो गई थी। तब भी, चीजें खुली थीं। यह अकल्पनीय और विनाशकारी परिस्थिति है।
राजीव बजाज: मेरे परिवारजन और कुछ दोस्त जापान में हैं, क्योंकि कावासाकी के साथ हमारा जुड़ाव है। कुछ लोग सिंगापुर में हैं, यूरोप में बहुत सारी जगहों पर दोस्त हैं। अमेरिका, न्यूयॉर्क, मिशिगन, डीसी में करीबी दोस्त और परिवारजन हैं, तो जब आप कहते हैं कि दुनिया कभी इस तरह बंद नहीं हुई है, लेकिन जिस तरह से भारत में लॉकडाउन कर दिया गया है, वह एक ड्रेकोनियन लॉकडाउन है। क्योंकि इस तरह के लॉकडाउन के बारे में कहीं से नहीं सुन रहा हूँ। दुनिया भर से मेरे सभी दोस्त और परिवारजन हमेशा बाहर निकलने, टहलने, घूमने और अपनी ज़रूरत की चीज़ खरीदने और किसी से भी मिलने और नमस्ते कहने के लिए स्वतंत्र हैं। इसलिए इस लॉकडाउन के सामाजिक और भावनात्मक पहलुओं के संदर्भ में, वे लोग बहुत बेहतर परिस्थिति में हैं।